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आम आदमी की कब्र पर पहुंचते हैं हजारों लोग, खासकर लड़कियां, जाने पूरा मामला

Rani Sahu
20 Jun 2021 11:37 AM GMT
आम आदमी की कब्र पर पहुंचते हैं हजारों लोग, खासकर लड़कियां, जाने पूरा मामला
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फ्रांस की राजधानी और दुनिया में फैशन कैपिटल के तौर पर जानी जाती है पेरिस

फ्रांस की राजधानी और दुनिया में फैशन कैपिटल के तौर पर जानी जाती है पेरिस. यहां का लूव्र म्यूजियम पूरी दुनिया में मशहूर है, तो एफिल टॉवर (Eiffel Tower) दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है. लेकिन यहीं पास में स्थित एक आम आदमी की कब्र पर भी हजारों लोग पहुंचते हैं, खासकर लड़कियां. क्योंकि उसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है. यही नहीं, कब्र पर उस आम आदमी की आदमकद प्रतिमा लेटी हुई है, जिसे चूमने से न सिर्फ जीवनसाथी की तलाश साल भर में पूरी हो जाती है, बल्कि बच्चे की चाहत रखने वाले जोड़ों की गोद भी भर जाती है.

पेरिस में कई मशहूर कब्रगाह
द मिरर के मुताबिक, पेरिस में पेरे-लशाएस नाम की एक कब्रगाह है. यहां फ्रांस की मशहूर शख्सियतों जैसे ऑस्कर विल्ड, चॉपिन, जिम मॉरिसन की कब्रें हैं. जहां सालाना 30 लाख से ज्यादा लोग पहुंचते हैं. लेकिन यहीं पर विक्टर नॉएर नाम के शख्स की भी कब्र है, जो एक पत्रकार था और महज 22 साल की उम्र में उसकी हत्या कर दी गई थी. विक्टर फ्रेंच अखबार ला-मर्सेलाइस में काम करते थे और साल 1870 में उनकी नेपोलियन तृतीय के भतीजे प्रिंस पियरे बोनापार्ट ने जान ले ली थी. प्रिंस अखबार में अपने परिवार की आलोचना से बौखलाए थे और विक्टर उनके सामने अखबार का पक्ष रखने गए थे. इसी दौरान बोनापार्ट ने उनकी जान ले ली थी. लेकिन इसकी वजह से पब्लिक भड़क गई और प्रिंस पर विक्टर की हत्या का केस चलाया गया.
खास क्यों है ये जगह?
विक्टर की समाधि को सेक्सिएस्ट टॉम्ब ऑफ द सेमेटरी भी कहा जाता है. क्योंकि जूल्स डलॉऊ नाम के कलाकार ने उनकी उसी हालत में एक मूर्ति बना दी थी, जिस हालत में विक्टर की मौत हो गई थी. उस समय विक्टर की शादी होने वाली थी. उनकी मूर्ति में उनकी कमीज के बटन खुले हैं. और उनकी हैट उनके पैर के पास पड़ी हुई है. माना जाता है कि जिस लड़की को जीवनसाथी की तलाश होती है, वो उस हैट में फूल चढ़ाती है और विक्टर की मूर्ती के होठों पर चुंबन करती है. ऐसा करने से साल भर के भीतर उसकी शादी हो जाती है.
मूर्ति के पास जाने पर लगी रोक, लेकिन...
इस मूर्ति के पास आने वाले लोगों में बड़ी संख्या महिलाओं की है. करीब 15 साल पहले इस मूर्ति के पास जाने से रोक लगा दी गई थी, लेकिन महिलाओं के तीखे विरोध के बाद ये रोक हटा ली गई. पेरिस की अधिकांश महिलाएं इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई.


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