यूरोपीय देशों की राजधानियों में शनिवार को हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर वैक्सीन पासपोर्ट और सरकारों द्वारा लगाई गईं अन्य शर्तो का विरोध किया। हेलसिंकी के साथ ही एथेंस, लंदन, पेरिस और स्टाकहोम में विरोध प्रदर्शन किए गए। फ्रांस की राजधानी पेरिस में सड़कों पर उतरे हजारों लोगों ने सोमवार से लागू किए जा रहे कोरोना पास का विरोध किया। इस पास के लागू होने से वैक्सीन नहीं लगवाने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें घरेलू उड़ानों, खेल कार्यक्रमों, बार, सिनेमा हाल इत्यादि में प्रवेश नहीं मिलेगा।
स्वीडन में भी किसी बंद स्थान में 50 से ज्यादा लोगों के किसी शामिल होने पर वैक्सीन सर्टिफिकेट को अनिवार्य बना दिया गया है। इसके विरोध में स्टाकहोम में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। स्वीडन के दूसरे बड़े शहर गोटेबोर्ग में भी एक हजार से अधिक लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान कहीं किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।
जानें क्या कहता है विधेयक-
विधेयक के अनुसार, मेले, सेमिनार, रेस्तरां, थिएटर, संग्राहलय, ट्रेड फेयर और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर उन्हीं लोगों को जाने की अनुमति मिलेगी जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज प्राप्त कर ली है। इससे पहले तक फ्रांस में सार्वजनिक जगहों पर जाने पर नेगेटिव कोविड रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य था, लेकिन अब वैक्सीन पास दिखाना जरूरी हो गया है। कई विपक्षी पार्टियों ने संसद में इस विधेयक का विरोध किया। विपक्ष का कहना था कि इस बिल की वजह से न केवल पुलिस बल्कि अन्य नागरिक भी हर जगह दूसरों की जांच करने लगेंगे।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की विवादास्पद टिप्पणियों के कारण इस विधेयक पर लगातार तीन दिनों तक संसद में बहस चली। विधेयक में नकली वैक्सीन पास रखने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने वालों को पांच साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है या 75,000 यूरो का जुर्माना लगाया जा सकता है।