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मार्च में B.1.427 और B.1.429 की निगरानी जारी है.
भारत (India) में कहर का कारण माने जा रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) के 'डबल म्यूटेंट' वैरिएंट ने अमेरिका (America) में दस्तक दी है. सोमवार को देश में इससे जुड़ा पहला मामला मिला. दावा किया जा रहा है कि सेन फ्रांसिस्को में मिले मरीज में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई है. दरअसल, पैथोजन के दो म्यूटेशन के कारण इसे 'डबल म्यूटेंट' कहा जा रहा है. खास बात है कि पहले ही अमेरिका कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के संक्रामक रोग विशेषज्ञ पीटर चिन-हॉन्ग कहते हैं 'इस भारतीय वैरिएंट में पहली बार एक ही वायरस के दो म्यूटेशन शामिल हैं. ऐसा पहले अलग-अलग वैरिएंट्स में देखा गया था.' कहा जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों में बढ़े मामलों का कारण यह नया वैरिएंट ही है. अमेरिका के जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के कोविड-19 ट्रैकर के मुताबिक, 15 फरवरी को संक्रमितों का आंकड़ा 9100 के आसपास था. यह 4 अप्रैल को बढ़कर 1 लाख 3 हजार पर पहुंच गया है.
फिलहाल इस मामले पर सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की तरफ से प्रतिक्रिया आनी बाकी है. संस्था से इस भारत से आए इस वैरिएंट और इससे होने वाले खतरे के संबंध में जानकारी देने का निवेदन किया गया था. साथ ही यह भी जानकारी मांगी गई थी कि क्या अमेरिका में लगाए जा रहे तीनों टीके इसपर असरदार हैं या नहीं. फिलहाल देश में फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके लगाए जा रहे हैं.
सीडीसी की वेबसाइट पर 2 अप्रैल की एक पोस्ट बताती है कि संस्था लगातार कोरोना वायरस के नए और बढ़ते म्यूटेशन को ट्रैक कर रही है. फिलहाल 5 ऐसे मामले सीडीसी के रडार पर हैं. दिसंबर 2020 से यह ब्रिटेन में मिले वैरिएंट B.1.1.7 की निगरानी कर रही है. जनवरी में दक्षिण अफ्रीका में मिला वैरिएंट B.1.351 भी इस सूची में शामिल हो गया था. इसके बाद सीडीसी ने जापान में मिले ब्राजील के P.1 को भी लिस्ट में जोड़ा था. वहीं, मार्च में B.1.427 और B.1.429 की निगरानी जारी है.
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