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अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने से इस आतंकी समूह को नया झटका लगा

Teja
14 July 2022 2:02 PM GMT
अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने से इस आतंकी समूह  को नया झटका लगा
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झटका लगा

सीरिया में इस्लामिक स्टेट के प्रमुख सरगनाओं में से एक माहेर अल-अगल के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने से इस आतंकी समूह (Terrorist Group) को नया झटका लगाअमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने से इस आतंकी समूह (Terrorist Group) को नया झटका लगा है. कुछ साल पहले इसने पश्चिम एशिया में एक बड़े इलाके पर कब्जा जमा लिया था. हालांकि, अभी यह आतंकी संगठन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. अल-अगल को आईएस के चार प्रमुख नेताओं में से एक माना जाता है. अक्टूबर 2019 में इस आतंकी गुट का करिश्माई आतंकी अबू बकर अल-बगदादी मारा गया था.

पश्चिम एशिया के मामलों से संबंधित पेंटागन के कतर स्थित सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के अनुसार, इस ड्रोन हमले में उसका एक सहयोगी भी घायल हुआ है. CENTCOM ने कहा है कि यह ड्रोन हमला उत्तर पश्चिमी सीरिया में निदायरिस के बाहरी इलाके में हुआ, इस इलाके में तुर्की समर्थित सीरियाई सेना का नियंत्रण है. अमेरिका ने जून में इसके एक कमांडर को भी पकड़ा था. साथ ही इसने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के नेताओं पर कई घातक ड्रोन हमले किए. फरवरी में उत्तर-पश्चिमी सीरिया में अमेरिकी विशेष बलों की छापेमारी के दौरान एक दूसरे आईएस कमांडर अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी ने खुदकुशी कर ली थी.
सेंटकॉम के प्रवक्ता जो बुकियो के मुताबिक, तगड़ी मार झेलने के बावजूद इस्लामिक स्टेट "अमेरिका और इसके पार्टनरों के लिए अभी भी एक खतरा है." सीरियाई युद्ध और इराक व लीबिया में तबाही के बीच आईएस आतंकी संगठन के तौर पर उभरा था. अल-बगदादी की अगुवाई में 2015 तक यह इस क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली सशस्त्र समूह बन गया, जो इराक, सीरिया और लीबिया में बड़े इलाके को प्रभावित करता था. एक तरफ रूस और सीरिया के प्रयास और दूसरी तरफ अमेरिका व उसके कुर्द सहयोगियों की वजह से बाद के वर्षों में इस समूह को लगभग समाप्त कर दिया गया.
अभी पश्चिम एशिया में इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) सबसे सक्रिय जिहादी गुटों में से एक है. वहाबी विचारधारा से प्रभावित, यह समूह शियाओं का विरोध करता है और उन्हें वह इस्लाम के खिलाफ मानता है. इस समूह ने शिया-प्रभुत्व वाले ईरान को निशाना बनाया है. हालांकि, आईएस एक तरह से खत्म हो गया लेकिन इस इलाके में इसकी कई शाखाएं अभी भी मौजूद हैं. अफ्रीका में भी इसके सहयोगी ग्रुप हैं. नाइजीरिया में बोको हराम है, माली में अंसार डाइन और सोमालिया में अल-शबाब के रूप में करीब आधा दर्जन समूह सक्रिय हैं. भारत के लिए चिंता की बात यह है कि खुद को इस्लामिक स्टेट (खुरासान) कहने वाला एक दूसरा समूह अफगानिस्तान में सक्रिय है. और यह तालिबान (Taliban) के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है.
आईएस-के की स्थापना तब हुई थी जब पश्चिम एशिया में इस्लामिक स्टेट (Islamic State) की सत्ता के चरम पर थी. यह तालिबान की तुलना में बहुत अधिक कट्टर है, और इस्लामिक खिलाफत बनाने के लिए यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान और यहां तक कि भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा करना चाहता है. यह कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और यहां तक कि उज्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के लिए भी खतरा है. मॉस्को ने भले ही अपने चेचन इलाके को सफलतापूर्वक "नियंत्रित" कर लिया है, लेकिन वह भी चिंतित हो सकता है, क्योंकि अफगानिस्तान में आईएस-के में चेचन लड़ाके भी शामिल हैं. ये लड़ाके दूसरे चेचन युद्ध के बाद रूस से भाग गए थे. दूसरे चेचन युद्ध में चेचेन अलगाववादी सपने को खत्म कर दिया था.


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