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ऐमजॉन नदी की सोने के रंग में बदलने की तस्वीर इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही है। इस तस्वीर को अंतरिक्ष में मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से लिया गया है।
ऐमजॉन नदी की सोने के रंग में बदलने की तस्वीर इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही है। इस तस्वीर को अंतरिक्ष में मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से लिया गया है। नासा के अर्थ ऑब्जर्वेटरी वेबसाइट के अनुसार, सोने सी यह चमक नदी में बने सैकड़ों गंदे पानी के गढ्ढों में पड़ी धूप के कारण दिखाई दे रही है। बता दें कि ऐमजॉन नदी से ब्राजील और पेरू समेत कई देशों में आज भी बड़ी मात्रा में सोना निकाला जाता है। लंबाई के हिसाब से ऐमजॉन नदी का नील नदी के बाद विश्व में दूसरा स्थान है।
नदी के सोने में बदलने का यह है कारण
नासा के अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने बताया कि प्रत्येक चमकता हुआ पूल एक सोने की संभावना वाला गड्ढा है। यहां वर्तमान में या पहले सोने की तलाश की गई है। इन्हें आसपास से स्थानीय खनिकों ने सोने की तलाख में खोदा हुआ है। टेक्सास स्टेट यूनिवर्सिटी के जस्टिन विल्किंसन ने कहा कि प्रत्येक गड्ढा कीचड़ वाली पानी और वनस्पतियों से घिरा हुआ है। यह नदी अपने तलछट में पानी के बहाव के कारण कई धातुओं को जमा करती है, जिसमें सोना भी शामिल है।
सोने के सबसे बड़े अवैध खनन वाला देश है पेरू
ये तस्वीरें पेरू के मादरे डी डिओस राज्य से होकर बहने वाली ऐमजॉन नदी की है। यह इलाका दुनिया के सबसे बड़े स्वतंत्रत सोने के खनन उद्योगों में शुमार है। यहां लगभग हर परिवार के सदस्य ऐमजॉन नदी के किनारे गड्ढे खोदकर सोने की तलाश करते हैं। इस क्षेत्र में अवैध रूप से 30,000 से अधिक सोने के खनिक काम करते हैं। जो यहां के सरकारी नियमों के खिलाफ है।
गरीबी के कारण नदी पर आश्रित हैं लाखों लोग
पेरू के इस इलाके में रहने वाले गरीब खनन श्रमिकों के लिए यह नदी एक वरदान है। क्योंकि, लैटिन अमेरिका के इस देश में गरीबी बहुत ज्यादा है। हालांकि, ऐमजॉन नदी के भविष्य के लिए यह अवैध खनन अभिशाप से कम नहीं है। यहां एक स्थान से दूसरे स्थान को जाने के लिए पक्की सड़कों का भी अभाव है। बरसात के दिनों में तो यहां के प्रमुख रास्ते भी दलदल में बदल जाते हैं। जिससे यहां की ट्रैफिक ही लगभग ठप हो जाती है।
सोने की खोज में वनों की हो रही कटाई
PLOS One नामक पत्रिका में 2011 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सोने के खनन के कारण इस क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में वनों की कटाई की गई है। ऐसा करने से न केवल नदी की प्रवाह बाधित हुई है, बल्कि यहां के निवासियों के लिए भी संकट बढ़ गया है। पहले पेड़ों के कारण अमेजन की बाढ़ में मिट्टी का कटाव कम होता था, अब तो यह नदी जिधर चाहती है उधर अपना रास्ता बना लेती है।
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