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19 साल की फ्रांसीसी युवती ने वर्ष 1946 में जब पहली बार बिकनी पहनकर उसका प्रदर्शन किया तो तहलका मच गया
19 साल की फ्रांसीसी युवती मेशलिन बेर्नीर्दिनी ने वर्ष 1946 में जब पहली बार बिकनी पहनकर उसका प्रदर्शन किया तो तहलका मच गया. लोगों ने इस नाराजगी जाहिर की. फ्रांस का मीडिया और चर्च तो भड़क गए. ये काम आज ही के दिन यानि 05 जुलाई 1946 के दिन हुआ था.
बिकिनी के डिजाइनर फ्रांस के लुई रियर्ड थे. स्किन से चिपके इस आउटफिट को पहनने के लिए उन्हें तलाश के बाद कोई प्रोफेशनल मॉडल नहीं मिली. हर किसी ने इसे पहनकर पब्लिक में आने से मना कर दिया. रियर्ड इसे पेरिस में एक फैशन इवेंट में प्रदर्शित करना चाहते थे लेकिन जब प्रोफेशनल मॉडल तैयार नहीं हुईं तो उन्होंने एक कैसिनो की न्यूड डांसर को एप्रोच किया.
वो न्यूड डांसर मिशेलिन थीं. इस बात को अब 75 साल हो चले हैं. मेशलिन अब 93 साल की हैं. जिंदा हैं. तब वो पेरिस के एक लोकप्रिय कसीनो में एक्जोटिक न्यूड डांसर के रूप में काम करती थीं.
तहलका मच गया
न्यूजपेपर प्रिंट छपे डिजाइन वाली बिकिनी पहनकर जब वो स्विमिंग पुल पर सार्वजनिक तौर पर आईं तो तो तहलका मच गया. ये तो होना ही था. उन्होंने बिकिनी पहने हुए हाथ में एक माचिस की डिब्बी लेकर पोज भी दिया, जिसका ये मतलब निकलता था कि ये बिकिनी इतनी छोटी है कि माचिस की डिब्बी में तक समा सकती है. इसके बाद मिशेलिन के पास 50 हजार प्रशंसकों के लेटर आए.
उस जमाने में ये काफी बोल्ड था
तब वन पीस स्विमसूट को ही सार्वजनिक तौर पर पहनना काफी बोल्ड माना जाता था. ऐसे में टू पीस बिकिनी ने गजब ही ढहा दिया. इसमें शरीर का ज्यादातर हिस्सा एक्स्पोज हो रहा था. वहां के कैथोलिक चर्च को भी इसकी डिजाइन काफी आपत्तिजनक लग रही थी. फ्रासीसी मीडिया ने भी इसका खासा विरोध किया. 1951 में पहली बार मिस वर्ल्ड के ब्यूटी कांटेस्ट के प्रतियोगियो ने बिकनी पहनी थी. लेकिन इसके बाद कांटेस्ट में बिकनी पहनने पर बैन लग गया.
यूरोपीय देशों में तब था प्रतिबंध
यूरोप के कई देशों मसलन इटली और स्पेन में पहले तो अधिकारियों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया. उस समय अगर समुद्र तट पर कोई टूरिस्ट अगर बिकिनी में दिख जाता था तो उसे वहां से हटा दिया जाता था या उस पर जुर्माना लगाया जाता था. यहां तक कि 50 के दशक के आखिर तक भी अमेरिकी महिलाओं के लिए भी बिकिनी पहनना अच्छा नहीं माना जाता था. हालांकि फ्रेंच महिलाओं को ये भा गई.
बिकिनी वूमन लिब्ररेशन का प्रतीक भी बनी
बाद में ये बिकिनी महिलाओं के लिब्ररेशन का दूसरा प्रतीक बन गई. उस समय (शायद अब भी) इससे ज्यादा सेक्सुअल बात तो कोई समझी ही नहीं जा सकती थी.
बिकिनी महिलाओं के लिब्ररेशन का दूसरा प्रतीक बन गई
कैसे दिमाग में आया आइडिया
रियर्ड पेशे से तो आटोमोबाइल इंजीनियर थे लेकिन उनका परिवार लिंगरी शाप चलाता था. एक दिन उन्होंने देखा कि फ्रेंच मेडेटेरियन समुद्र तट पर उन्होंने देखा कि समुद्र में नहा रहीं कुछ महिलाएं अपने बाथ सूट को लपेटकर और छोटा कर रही हैं ताकि उनकी ज्यादा स्किन एक्सपोज हो पाए. बस रियर्ड को यहीं से दो पीस बिकिनी का अाइडिया मिला.
इस तरह इसे मिला बिकिनी नाम
जिस समय रियर्ड ने अपनी बिकिनी करीब तैयार कर ली थी, उसी समय दुनियाभर में पहले एटम बम का विस्फोट हुआ था. रियर्ड ने अपने इस स्विम सूट में केवल 30 इंच कपड़ा इस्तेमाल किया. वो चाहते थे कि लोग जब इसे देखें तो उसी तरह शॉक्ड रह जाएं और उनकी प्रतिक्रिया करीब वैसी ही हो, जिस तरह एटामिक बम के बाद हुई थी. चूंकि पहला परमाणु परीक्षण अमेरिका ने एक छोटे से द्वीप के प्रशांत बिकिनी तट पर किया था, लिहाजा इस छोटे कपड़े का नाम बिकिनी रख दिया गया.
बिकनी एटोल उस मार्शल द्वीप समूह का सबसे छोटा द्वीप है, जहां अमेरिका ने 1946 से 19 58 तक कुल 60 परमाणु बम और हाइड्रोजन बम परीक्षण किए. किए. इसके डिजाइनर को लगा कि उनके डिजाइन किए गए इस सूट का असर भी परमाणु विस्फोट के समान ही है, लिहाजा इसे "बिकिनी स्विमिंग सूट" कहा जाने लगा.
60 के दशक में पॉपुलर कल्चर में शामिल
60 के दशक में ये अमेरिका के पॉपुलर कल्चर में शामिल हो गई. 63 में आई फिल्म बीच पार्टी में एक्ट्रैस एनेट फुंसिलो ने इसे पहना. एक्ट्रेस ब्रिगेट बरडोट ने 1953 में हुए कान फेस्टिवल के दौरान इसे पहनकर सबका ध्यान खींचा. फिर कई और एक्ट्रेस भी इसको पहने नजर आईं. 1960 के ही दशक में playboy और sports illustrated नाम की मैगजीन में बिकनी का डिजाइन कवर पेज पर छापा. भारत में शर्मिला टैगोर ने जब 1967 में पहली बार फिल्म एन इवनिंग इन पेरिस में टू पीस बिकिनी पहनी तो देश में लोगों की आंखें चौड़ीं. हो गईं. हालांकि उस जमाने में इस कोई विरोध प्रदर्शन जैसा कुछ नहीं हुआ था.
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