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60 टन वजनी ये उल्‍कापिंड आज तक अपनी जगह से नहीं हिला, 80 हजार साल पहले टकराया था धरती से

Neha Dani
10 Jan 2022 5:44 PM GMT
60 टन वजनी ये उल्‍कापिंड आज तक अपनी जगह से नहीं हिला, 80 हजार साल पहले टकराया था धरती से
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उसके बाद 1987 में इस जगह पर एक पर्यटन केंद्र खोला गया था जहां आज तक हजारों लोग घूमने आ चुके हैं.

नामीबिया में गिरा होबा उल्‍कापिंड एक ऐसी चीज है जिसे आज तक किसी भी तरह से मूव नहीं किया गया है. इसे 1920 में एक किसान ने खोजा था. माना जाता है कि ये पृथ्‍वी पर पहली बार 80 हजार साल पहले अंतरिक्ष से आकर गिरा था.

60 टन वजनी है होबा उल्‍कापिंड
Daily Star की खबर के अनुसार, 60 टन वजनी ये अविश्‍वसनीय उल्‍कापिंड नामीबिया के ओत्जोजोंडजुपा क्षेत्र में स्थित है और इसका नाम होबा वेस्ट के नाम पर रखा गया है जहां इसे खोजा गया था. यह उल्‍कापिंड 1920 में पहली बार एक किसान को दिखा था. उसके बाद से इस विशाल उल्‍कापिंड को एक बार भी हिलाया नहीं गया है.
खेत में जुताई करते समय हुई खोज
दरअसल, किसान जैकबस हरमनस ब्रिट्स अपने खेत की जुताई कर रहा था कि उसका हल अचानक रुक गया. जब उसने मिट्टी में खोदा तो उसे धातु का एक बड़ा टुकड़ा मिला. इसके तुरंत बाद यहां खुदाई की गई और जब ये बाहर निकला तो इसे उल्कापिंड के रूप में पहचाना गया जो कई हजार सालों से जमीन में दबा था. उल्‍कापिंड ने वैज्ञानिकों का ध्यान जल्द ही अपनी ओर आकर्षित कर लिया था.
इस तरह लगी थी होबा उल्‍कापिंड को लेकर अटकलें
ऐसा माना जाता है कि होबा उल्कापिंड लगभग 80,000 साल पहले पृथ्वी पर गिरा था लेकिन इस पर वर्षों से व्यापक अटकलें लगाई हैं कि इसके आसपास कोई गड्ढा क्यों नहीं है. जियोलॉजी डॉट कॉम के अनुसार, एक क्रेटर की कमी से पता चलता है कि यह अपेक्षा से कम गति से पृथ्वी पर गिरा तो वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह उल्‍कापिंड के सपाट आकार का परिणाम था.
होबा उल्‍कापिंड को बना दिया गया देश का राष्‍ट्रीय स्‍मारक
1955 में इस उल्‍कापिंड को नष्‍ट होने से रोकने के लिए नामीबिया का राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था. 23 साल बाद खेत के मालिक ने "शैक्षिक उद्देश्यों" के लिए उल्कापिंड और उस स्थान को राज्य को दान कर दिया जहां वह स्थित है. उसके बाद 1987 में इस जगह पर एक पर्यटन केंद्र खोला गया था जहां आज तक हजारों लोग घूमने आ चुके हैं.

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