x
देखने को लगते थे टिकट
हम-आप चिड़ियाघर (Zoo) जरूर गए होंगे. हम जू जाते हैं, टिकट कटाते हैं और फिर अंदर मोर, चिड़िया, सांप, हाथी, शेर, बंदर वगैरह देखते हैं. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि किसी इंसान को भी ऐसी ही जानवरों के तरह कैद कर दिया जाए और उसे देखने के लिए भी लोग टिकट खरीदें. सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन ओटा बेंगा (Ota Benga) नाम के शख्स की कहानी ऐसी ही है.
एक इंसान के साथ जानवरों की तरह बर्ताव किया गया. उसे मूल निवास से अगवा किया गया, अफ्रीका से अमेरिका लाया गया और फिर एक चिड़ियाघर में जानवरों के साथ कैद कर दिया गया. इंसानों ने ही उसका मजाक उड़ाया. उसे कई वर्षों तक बंदरों की तरह ट्रीट किया गया. उसने अपनी पूरी जिंदगी दर्द में ही बिताई. और करीब 12 वर्षों तक यह सबकुछ झेलने के बाद जब वह अपनी जिंदगी से ऊब गया तो उसने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली.
अपने मोबाइल में गूगल पर आप जैसे ही ओटा बेंगा (Ota Benga) टाइप कर सर्च क्लिक करते हैं, आपको इसकी ढेर सारी कहानियों के लिंक्स दिख जाते है. इमेज सर्च करने पर एक बंदर को गोद में लिए एक किशोर दिखता है. एक और तस्वीर दिखती है, अजीब दांतों वाले उसी किशोर की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब बेंगा को चिड़ियाघर में कैद कर रखा गया था, तब उसके दांत देखने के लिए भी लोग अलग से पैसे देते थे.
अफ्रीका के एक गुलाम देश में हुआ था जन्म
यह घटना बहुत पुरानी नहीं है. यह कहानी है 20वीं सदी की शुरुआत की. उसे वर्ष 1904 में अफ्रीका के जंगल से अगवा किया गया था. दरअसल, कांगो फ्री स्टेट में ओटा बेंगा का जन्म तब हुआ था, जब वहां बेल्जियम के राजा लियोपोल्ड का आतंक अपने चरम पर था. उस समय विश्व मानचित्र पर पूरा कांगो सिर्फ एक ब्लैक स्पॉट था, एकदम अस्तित्वविहीन.
वहां रबर के पेड़ों की वजह से भी लियोपोल्ड ने इस क्षेत्र पर अधिकार जमाने का फैसला लिया था. उसका आतंक ऐसा था कि छोटी-छोटी बात पर लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता था. माना जाता है कि लियोपोल्ड ने 10 लाख स्थानीय लोगों को मरवा दिया था. बेंगा का जन्म इसी दौर में हुआ था.
… जब मौत के घाट उतार दिए गए परिवार के सारे सदस्य
बेंगा का परिवार 15-20 लोगों का था. उन्हें म्ब्युटी पिग्मिस कहा जाता था. वे बंजारों की तरह जीवन जीते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कम उम्र में बेंगा की शादी हो गई थी. एक दिन अचानक जब वह शिकार पर गया हुआ था, तब अरब देशों से गुलामों को पकड़ने आए लोगों ने उसके पूरे परिवार पर हमला कर दिया और सभी की हत्या कर दी. बेंगा को भी गुलाम बना लिया गया. उसे मजदूर की तरह काम कराया जा रहा था.
…फिर ऐसे लाया गया अमेरिका
वर्ष 1904 में एक अमेरिकन बिजनेसमैन सैम्युल वर्नर की नजर बेंगा पर पड़ी तो वो उसे खरीद कर अपने साथ ले आए. उस वक्त इंसानों की खरीद का दौर था और लोग गुलाम और नौकरों के रूप में इंसानों को खरीदते थे. वर्नर कांगो गए, ताकि वो बेंगा के समुदाय को शहरी लोगों के सामने रिप्रेजेंट करने के लिए किसी इंसान को लेकर आएं.
उसे देखने को लगते थे टिकट
सेंट लुइस के वर्ल्ड फेयर में बेंगा को लोगों के सामने लाया गया. वहां उसे देखने के लिए टिकट लगते थे. अन्य अफ्रीकी साथियों संग वह नाचकर दिखाता था और लोग उससे अपना मनोरंजन करते थे. और तो और बेंगा के दांत देखने के लिए भी लोग अलग से पैसे देते थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ल्ड फेयर खत्म होने के बाद बेंगा अफ्रीका लौट गया. वहां उसने दूसरी शादी भी की, लेकिन सांप काटने से उसकी बीवी की मौत हो गई. वह दुबारा अमेरिका लौट आया.
म्यूजियम में प्रदर्शनी, फिर पहुंचा चिड़ियाघर
अमेरिका आने के बाद बेंगा को प्रदर्शनी के लिए एक म्यूजियम में रखा गया. हालांकि मन मुताबिक पैसे नहीं मिलने के बाद वहां काम छोड़ वह एक चिड़ियाघर में काम करने लगा. बीबीसी की एक रिपोर्ट में 'स्पेक्टेकलः द एस्टोनिशिंग लाइफ ऑफ ओटा बेंगा' के हवाले से लिखा गया है कि सितंबर 1906 में उसे 20 दिन के लिए न्यूयॉर्क के ब्रॉन्स्क जू (Bronx Zoo) में प्रदर्शित किया गया. वहां उसे देखने के लिए काफी लोग आते थे.
… जिंदगी से तंग आकर खुद को मार ली गोली
कुछ मंत्रियों के विरोध के बाद उसे वहां से रिहा किया गया और न्यूयॉर्क के होवार्ड कलर्ड ऑर्फन एसायलम ले जाया गया. जनवरी 1910 में वो लिंचबर्ग थियोलॉजिकल सेमिनरी और वर्जीनिया के कॉलेज फॉर ब्लैक स्टूडेंट्स में रहने भर गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बताया जाता है कि अपने घर जाने को लेकर बेंगा डिप्रेस हो गया. विश्वयुद्ध के कारण वह घर नहीं लौट पाया और आखिर में जिंदगी से तंग आकर मार्च 1916 में उसने खुद को गोली मार ली. तब उसकी उम्र महज 25 साल थी.
Next Story