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ये है दुनिया का रेतीला दलदल, अब तक ले चुका है 50,000 लोगों की जान

Neha Dani
24 Nov 2021 5:06 AM GMT
ये है दुनिया का रेतीला दलदल, अब तक ले चुका है 50,000 लोगों की जान
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अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात ने 26 नवंबर, 1703 को मध्य और दक्षिणी इंग्लैंड को प्रभावित किया था।

ब्रिटेन के आसपास का समुद्री तट हजारों जहाजों के मलबे से भरा हुआ है और प्रत्येक का अपना अनूठा इतिहास है। ब्रिटेन के समुद्र तट पर हुईं कुछ बड़ी खोजों पर नजर डालें तो इसमें मैरी रोज जैसे जहाज शामिल हैं। यह एचएमएस लंदन विस्फोट के बाद थेम्स नदी में डूब गया था। इसी तरह करीब 1,400 टन टीएनटी विस्फोटकों से भरा जहाज एसएस रिचर्ड मोंटगोमरी भी पानी में समा गया था। केंट में डील के तट से सिर्फ 10 किमी की दूरी पर मौजूद रेतीला दलदल जहाजों के लिए 'सबसे बड़ा खतरा' है।

द गुडविन सैंड्स एक 16 किमी लंबा सैंडबैंक है और यह 'इंग्लिश चैनल' में सबसे 'खतरनाक जगहों' में से एक रूप में गुडविन्स कुख्यात है। समुद्री पुरातत्वविद् डैन पास्को ने Express.co.uk को बताया कि यह एक 'जहाजों को निगलने वाला' स्थान है और यही मैं इसे कहना पसंद करता हूं। उन्होंने बताया कि ये रेत के किनारे 20 मीटर तक गहरे हो सकते हैं और अस्थिर हैं। जब एक जहाज इससे टकराता है तो सामान्य रूप से तो यह रेत के शीर्ष पर हिट करता है। लेकिन धीरे-धीरे जहाज रेत में धंसता चला जाता है जब तक कि वह 20 मीटर नीचे मौजूद सतह से नहीं टकरा जाता।
समुद्री यात्रा के लिए बड़ा खतरा रेतीला दलदल
पास्को ने आगे कहा कि सैकड़ों सालों तक जहाज का मलबा दबा रहता है। गुडविन सैंड्स एक मोबाइल सैंडबैंक है जो अस्थिर है। इसलिए जब रेत हटती है तो जहाज के मलबे को देखा जा सकता है। इसी तरह 1979 में स्टर्लिंग कैसल जहाज को खोजा गया था जो 1703 में इस रेतिले दलदल में डूब गया था। दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग लेन में से एक में स्थित गुडविन्स ने समुद्री यात्रा शुरू होने के बाद से शिपिंग के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।
अब तक ले चुका है 50,000 लोगों की जान
रेत के नीचे गायब होने से पहले जहाज अक्सर टूट जाते हैं। अब तक करीब 2000 जहाजों के मलबे दर्ज किए गए हैं। हालांकि सही संख्या 3,500 के करीब मानी जाती है। माना जाता है कि 50,000 लोग वहां डूब गए थे, जिनमें सैकड़ों द्वितीय विश्व युद्ध के एयरमैन भी शामिल थे। 1703 का महान तूफान सबसे घातक रातों में से एक साबित हुआ था। विनाशकारी, अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात ने 26 नवंबर, 1703 को मध्य और दक्षिणी इंग्लैंड को प्रभावित किया था।

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