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इसे ऑटम गोल्ड यानी पतझड़ का सोना के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इसका आकार पंखे की तरह होता है।
पेड़ की पत्तियों के गिरने के 20 दिनों की अवधि में लगभग 60 हजार लोग इस पेड़ को देखने के लिए मठ में आते हैं। भीड़ न बढ़े इसलिए मठ लोगों की संख्या पर कंट्रोल करता है। मठ में घूमने आने के लिए पहले से ऑनलाइन बुकिंग कराना पड़ता है। इसके साथ ही यहां हजारों लोगों को लाइन में लगना पड़ता है। (फोटो क्रेडिट-Twitter/ThamKhaiMeng)
चीनी दवाओं में भी होता है इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक ये पेड़ तांग राजवंश ने एक बौद्ध मठ में लगवाया था। ये पेड़ की बेहद प्राचीन प्रजाति है, जिसके कारण ये इतने लंबे समय से बचा हुआ है। ये छाया तो देता ही है, इसके साथ ही कई पारंपरिक चीनी दवाओं में इसका इस्तेमाल होता है।
इतने समय से कैसे जीवित है पेड़
हालांकि इस पेड़ के साथ के कई पेड़ इतने लंबे समय तक नहीं बच सके हैं। तो आखिर ये पेड़ इतने लंबे समय से कैसे जीवित है। हालांकि इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है। लेकिन यहां आने वाले लोग मानते हैं कि मठ में सकारात्मक ऊर्जा है, जिसके कारण ये पेड़ 1400 सालों से खड़ा है।
इस पेड़ की 270 मिलियन वर्ष पुरानी प्रजाति है। इसे ऑटम गोल्ड यानी पतझड़ का सोना के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इसका आकार पंखे की तरह होता है।
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