जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कैलिफोर्निया की एक भारतवंशी दंपती को बेगारी कराने के लिए 15 साल आठ महीने जेल की सजा सुनाई गई है। बकाया मजदूरी एवं अन्य नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें तीन पीड़ित कामगारों को 15,657 डॉलर (11 लाख 51 हजार रुपये से अधिक) का भुगतान करने को कहा गया है। सतीश कर्तान (Satish kartan) और उसकी पत्नी शर्मिष्ठा बरई को बेगारी कराने की साजिश रचने का दोषी पाया गया। 11 दिनों की सुनवाई के बाद फेडरल ग्रांड ज्यूरी ने 14 मार्च को उन्हें दोषी पाया था। दो अक्टूबर को कोर्ट ने बरई को भी 15 वर्ष आठ महीने कैद की सजा सुनाई।
कोर्ट के दस्तावेज और सुनवाई के दौरान पेश किए गए सबूतों के अनुसार, फरवरी 2014 और अक्टूबर 2016 के बीच दंपती ने विदेश से स्टॉकहोम स्थित अपने घर पर घरेलू कामकाज के लिए कामगार रखे थे। इंटरनेट और भारत के अखबार में नौकरी के लिए दिए गए विज्ञापन में उन्होंने मजदूरी भुगतान और रोजगार की स्थिति के बारे में झूठे दावे किए थे। भर्ती करने के बाद दंपती ने कामगारों से रोजाना 18 घंटे काम कराया। असिस्टेंट एटॉर्नी जनरल एरिक ड्रेबंद ने कहा, ' अमेरिका में दास प्रथा और गुलामी की व्यवस्था को 150 साल पहले खत्म कर दिया था। लेकिन अभी भी इस तरह का अमानवीय श्रम कराया जा रहा है और लोगों को गुलामी का जीवन व्यतीत करने को मजबूर किया गया है। 40 वर्षीय शर्मिष्ठा और 46 वर्षीय सतीश कामगारों का शोषण करते थे।'
इस सजा के जरिए लोगों को सख्त संदेश दिया गया कि मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी को अमेरिका में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अमेरिका के एटार्नी मैक ग्रेगर स्कॉट ने कहा, 'दंपत्ति उन कामगारों से जबरन 18 घंटे काम कराते थे और उसके अनुसार पैसे भी नहीं देते थे। बल्कि काम कराने के लिए धमकियां और हिंसक रूप अपना लेते थे।