आसानी से उपलब्ध होने वाली और रक्त को पतला करने वाली किफायती दवा हेपरिन को अगर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज लेते हैं तो उनके फेफड़ों को होने वाला नुकसान कम हो जाता है। यह दावा एक अध्ययन के शुरुआती परिणामों में किया गया है। इसके अनुसार यह दवा कोरोना संक्रमण को भी रोक सकती है।
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के शोधार्थी 13 देशों में कोरोना वायरस से संक्रमित और अस्पताल में भर्ती होने वाले ऐसे मरीजों को ट्रैक कर रहे हैं जिन्हें हेपरिन की खुराकें दी गई थीं। 98 मरीजों से शुरुआती परीक्षण बताते हैं कि यह दवा एक प्रभावी इलाज और कोरोना वायरस के खिलाफ निवारक साबित हो सकती है।
शोधार्थियों ने पता लगाया है कि हेपरिन का एक कोर्स पूरा करने के बाद 70 फीसदी मरीजों के ऑक्सीजन स्तर और श्वसन बेहतर हुआ। इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कोविड लक्षण मानकों के अनुसापर उनके लक्षण भी बेहतर हुए।
हालांकि, शोधार्थियों ने यह भी कहा है कि इसकी पुष्टि के लिए अभी बड़े स्तर पर अध्ययनों की आवश्यकता है।
इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले एएनयू के प्रोफेसर वैन हैरेन ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रभावी इलाज की तत्काल आवश्यकता है और हमारे परीक्षणों के शुरुआती परिणाम बताते हैं कि सांस से ली गई (इन्हेल्ड) हेपरिन सुरक्षित और प्रभावी है।