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भारत समेत विश्व के कई अन्य देशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले सामने आए हैं
भारत समेत विश्व के कई अन्य देशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले सामने आए हैं। ओमिक्रोन वैरिएंट के मामले आने के बाद डब्ल्यूएचओ समेत कई देश पूरी तरह से अलर्ट हो गए हैं। इस बीच, ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन ने दावा किया कि प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चला है कि कोरोना के खिलाफ इसकी एंटीबाडी दवा कोरोना के नए म्यूटेंट ओमीक्रोन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाई गई है। ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) ने सोट्रोविमैब को यूएस पार्टनर वीर (वीआईआर) बायोटेक्नोलॉजी के साथ विकसित किया गया है। बता दें कि यह मनुष्यों द्वारा पहले से बनाए गए प्राकृतिक एंटीबाडी पर आधारित एक मोनोक्लोनल एंटीबाडी है।
परीक्षणों में सोट्रोविमैब को 24 घंटों में हल्के से मध्यम कोरोना के साथ उच्च जोखिम वाले वयस्क रोगियों में अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम को 79 फीसद तक कम करने का दावा किया गया है। कंपनी द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार ओमीक्रोन वैरिएंट के सीक्वेंस के आधार पर हमारा मानना है कि सोट्रोविमैब की ओर से इस वैरिएंट के खिलाफ सक्रियता और प्रभावशाली बनाए रखने की संभावना है।
कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि यह सकारात्मक प्रवृत्ति जारी रहेगी और माइक्रोन के पूर्ण संयोजन अनुक्रम के खिलाफ अपनी गतिविधि की पुष्टि करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। जेवुडी के रूप में मार्केटिंग की जाने वाली दवा को कोरोना के लक्षणों की शुरुआत के पांच दिनों के भीतर दिए जाने की सिफारिश की गई है।
इसके साथ ही इस शोध में देखा गया है कि यह उन लोगों के लिए ज्यादा प्रभावी है जिन्हें आक्सीजन सप्लीमेंट की आवश्यकता नहीं है और जिन्हें गंभीर कोरोना संक्रमण के बढ़ने का खतरा ज्यादा है। सोट्रोविमैब को यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) द्वारा वयस्कों और किशोरों (12 वर्ष और अधिक आयु) के तीव्र कोविड -19 संक्रमण के उपचार के लिए एक सशर्त मार्केटिंग प्राधिकरण भी दिया गया है।
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