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मून पर पानी का पता बताएगा यह उपकरण

Gulabi
8 July 2021 1:27 PM GMT
मून पर पानी का पता बताएगा यह उपकरण
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पिछले कुछ सालों में कई देश चंद्रमा (Moon) पर जाने की तैयारी कर रहे हैं

पिछले कुछ सालों में कई देश चंद्रमा (Moon) पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. इससे एक नई तरह की अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा छिड़ने की संभावना बनती नजर आ रही है.अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) का आर्टिमिस अकॉर्ड के प्रावधान भी इसी के संकेत देते दिखाई दे रहे हैं. जहां नासा चंद्रमा पर अपने बेस कैम्प बनाने की तैयारी में है, वहीं चीन के साथ मिलकर रूस भी वहां पर रिसर्च स्टेशन बनाएगा. चंद्रमा पर सबसे अहम मुद्दा पानी की तलाश (Searching of Water) होगा क्यों अब यहां पर लंबे समय तक रुकने की तैयारी होने लगी है. ऐसे में नासा के लिए एक खास उपकरण तैयार किया गया है जो चंद्रमा के वायुमंडल में पानी की उपस्थिति का अध्ययन कर वहां के जलचक्र को समझेगा.

पहले से काम कर रही है टीम
वैज्ञानिकों की एक टीम चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी और उसके बर्ताव को जानने पर काम कर रहे हैं. इस टीम ने एक ऐसे उपकरण की खोज की है जो वायुमंडल में पानी के आणुओं की उपस्थिति की पहचान कर सकता है जिससे यह पता चल सके कि पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह पर पानी कहां कहां पर और कितनी मात्रा में मौजूद है.
आर्टिमिस अभियान के लिए
ओपन यूनिवर्सिटी और RAL स्पेस की टीम ने एक एक्जोस्फेरिक मास स्पैक्ट्रोमीटर (EMS) तैयार किया है जिसे उन्होंने 'हार्ट ऑफ लूनार सेंसर' कहा है. यह उपकरण आने वाले अभियानों के लिए चंद्रमा पर पानी और बर्फ की बहुतायत का अध्ययन करेगा. यह उपकरण PITMS उपकरण का हिस्सा है जो नासा को इस साल चंद्रमा पर भेजने के लिए दिया जाएगा.
क्या करेगा यह उपकरण
यह उपकरण चंद्रमा पर आर्टिमिस अभियान के हिस्से के रूप में वहां पहुंचेगा जिसमें पहली महिला और दशकों बाद एक पुरुष अंतरिक्ष यात्री वहां कदम रखेंगे. ओपन यूनिवर्सिटी के बयान में कहा गया कि यह उपकरण चंद्रमा के बहुत ही पतले वायुमंडल में भी पानी और अन्य अणुओं कि स्थिति का पता लगाएगा. उपकरण कुछ पहचान तकनीकों का परीक्षण भी करेगा जिन्हें ओपन यूनिवर्सिटी के भावी अभियानों में उपयोग में लाया जाएगा.
कैसे होगी पहचान
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के अनुसार यह उपकरण शोधकर्ताओं का रासायनिक विश्लेषण द्वारा समान्य परमाणु और अणुओं की पहचान और मात्रा निर्धारित करने का मौका देता है. चंद्रमा पर अणु जब सेंसर में लगते हैं तो इलेक्ट्रॉन से टकरा कर वे आयन बनाते हैं जो एक विद्युत क्षेत्र में जमा रहते हैं. ये आयन डिटेक्टर में छोड़े जाते हैं जिससे उनकी रासायनिक संरचना के साथ उनकी मात्रा का पता चलता है.
लगातार होगा अध्ययन
यह उपकरण चंद्रमा के पूरे दिन तक लगातार उसके वायुमंडल में पानी के अणुओं का अध्ययन करेगा. जिससे चंद्रमा के जल चक्र को समझा जा सके. यह चंद्रमा के लूनार लैंडर का हिस्सा होगा और इसी साल नासा के एस्ट्रोबायोटिक अभियान के जरिए वहां के वेलास मोर्टिस इलाके में उतरेगा,
इससे पहले का सेंसर
टीम ने इससे पहले एक सेंसर को डिजाइन किया था जिससे चंद्रमा में वाष्पशील पदार्थों का पता लगाता सकता है. आयन ट्रैप मास स्पैक्ट्रोमीटर (ITMS) उपकरण का वह हिस्सा है जो चंद्रमा के वायुमंडल और सतह दोनों पर वाष्पशील पदार्थ की पहचान करता है.
चंद्रमा पर इतना खर्त कर जाने की एक बड़ी वजह है. अंतरिक्ष अन्वेषण में चंद्रमा एक प्रयोगशाला की तरह तो है ही, वहां कई बहुत कम पाए जाने वाले धातु का खनन से बहुत अपेक्षाएं हैं. चंद्रमा के अभियान ही भविष्य में सुदूर अंतरिक्ष अंतरिक्ष अन्वेषण अभियान की दिशा तय करेंगे.
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