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अफगानिस्तान से सीमा मुद्दे पर यह हुआ फैसला, पाक एनएसए के काबुल दौरे का दिखा असर

Bhumika Sahu
31 Jan 2022 4:10 AM GMT
अफगानिस्तान से सीमा मुद्दे पर यह हुआ फैसला, पाक एनएसए के काबुल दौरे का दिखा असर
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा मुद्दों को हल करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने पर सहमती बन गई है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष बोर्डर क्रोसिंग प्वाइंट पर सुविधा बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के समन्वय तंत्र की स्थापना पर सहमत हुए हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोइद यूसुफ के काबुल के दो दिवसीय दौरे का असर देखने को मिला है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दौरे के समापन के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा मुद्दों को हल करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने पर सहमती बन गई है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष बोर्डर क्रोसिंग प्वाइंट पर सुविधा बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के समन्वय तंत्र की स्थापना पर सहमत हुए हैं।

परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने पर बनी सहमति
बयान में आगे कहा गया है कि दोनों पक्षों ने तीन प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजनाओं, मध्य एशिया दक्षिण एशिया विद्युत पारेषण और व्यापार परियोजना (CASA-1000), तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन (TAPI) और ट्रांस-अफगान रेल परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
पाकिस्तान-अफगान सीमा पर पिछले हफ्ते ही बिगड़े थे हालात
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो के हफ्तों बाद यह फैसला सामने आया है। वीडियो में तालिबान को पाकिस्तान-अफगान सीमा पर बाड़ के एक हिस्से को कथित तौर पर उखाड़ते हुए दिखाया गया था। बता दें कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ, जो अफगानिस्तान इंटर-मिनिस्ट्रियल कोऑर्डिनेशन सेल (AICC) के भी प्रमुख हैं, उन्होंने 29-30 जनवरी को काबुल का दौरा किया था। इस्लामिक अमीरात के सत्ता में आने के बाद से मोईद अफगानिस्तान का दौरा करने वाले पाकिस्तान के तीसरे वरिष्ठ अधिकारी हैं।
कई संकटों से जूझ रहा है अफगानिस्तान
गौरतलब है कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था और इसके बाद से देश गहरे आर्थिक, मानवीय और सुरक्षा संकट से जूझ रहा है। विदेशी सहायता के निलंबन, अफगान सरकार की संपत्ति को जब्त करने और तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के संयोजन ने देश को पहले से ही उच्च गरीबी के स्तर से पीड़ित एक पूर्ण आर्थिक संकट में डाल रखा है।


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