ब्रिटेन में अदालती लड़ाई के बाद एक लड़के की लंदन स्थित अस्पताल में शनिवार को मौत हो गई. चार महीने कोमा में रहे इस 12 साल के बच्चे आर्ची की मौत डॉक्टरों की ओर से जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) हटाए जाने के बाद हुई है. कोर्ट ने पहले ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम को बंद कर देने की बात कही थी क्योंकि लड़के का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड बता दिया था. इसके बाद भी बच्चे के परिजन चाहते थे कि उसका दिल अभी धड़क रहा है और उनके बेटे का इलाज जारी रहना चाहिए. इस कानूनी मामले को लेकर ब्रिटेन में काफी चर्चा भी रही.
क्या था मामला ?
आर्ची की देखभाल लेकर एक लम्बी कानूनी बहस चली थी. क्योंकि उसके माता-पिता ने अस्पताल को उसका इलाज जारी रखने की मांग की थी. इसके विपरीत डॉक्टरों ने तर्क दिया कि आर्ची के ठीक होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं और उसे मरने की इजाजत दी जानी चाहिए. आर्ची एक विशेष तरह के बीमारी से पीड़ित था.
ब्रिटिश कोर्ट ने वेंटिलेटर हटाने का फैसला किया
डॉक्टरों की सलाह पर कोर्ट ने आर्ची के वेंटिलेटर हटाने का फैसला किया. कोर्ट ने कहा इलाज समाप्त करने में ही उसकी भलाई है. यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने भी मामले में दखल देने के लिए दूसरी बार इनकार कर दिया था. अस्पताल द्वारा इलाज बंद करने की कवायद शुरू किए जाने के लगभग दो घंटे बाद दोपहर 12:15 बजे उसकी मौत हो गई.
17 अप्रैल को हुए एक हादसे में आर्ची के दिमाग पर गहरा आघात लगा था. उसकी मां ने बताया कि वह एक ऑनलाइन कम्पटीशन में हिस्सा ले रहा था और उसी दौरान बेट के साथ ऐसी घटना हुई जिसके बाद से आर्ची को होश ही नहीं आया है. आर्ची के परिवार के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी थी कि लड़के का दिल काम कर रहे है और उसने एक बार अपनी मां का हाथ भी पकड़ लिया था. हालांकि कोर्ट ने इससे बाद भी इलाज को जारी रखने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया.