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यूएई अब तक एक करोड़ 15 लाख लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन लगा चुका है।
संयुक्त अरब अमीरात में चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन साइनोफार्म के दो डोज लगवाने वाले लोगों को तीसरा लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। यूएई के इस फैसले के बाद चीन की वैक्सीन की क्षमता को लेकर सवालों के बादल मंडराने लगे हैं। यूएई ने देश में तेजी से कोरोना वायरस टीकाकरण के लिए चीनी कंपनी पर दांव लगाया था जो अब उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है।
यूएई के नैशनल इमरजेंसी क्राइसिस एंड डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉर्टी ने कहा, 'जिन लोगों को साइनोफार्म कोरोना वायरस वैक्सीन लगी है, उनके लिए एक अतिरिक्त सहायक डोज मौजूद है। ऐसे लोगों के दूसरी डोज लेने के 6 महीने पूरे हो गए हैं।' चीनी कंपनी साइनोफार्म के ऊपर इस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन का हाथ है लेकिन अब इस वैक्सीन की कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी क्षमता पर ही सवाल उठने लगे हैं।
चीनी वैक्सीन लगाने के बाद एंटीबॉडी नहीं पैदा हुई
द नैशनल न्यूज पेपर की मार्च में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यूएई ने कुछ ऐसे लोगों को कोरोना वायरस की तीसरी डोज लगाई है जिनके अंदर चीनी वैक्सीन लगाने के बाद एंटीबॉडी नहीं पैदा हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि चीनी कोरोना वायरस वैक्सीन की प्रभावी क्षमता सभी उम्र के लोगों पर करीब 79 प्रतिशत है। इस बीच अन्य वैक्सीन निर्माता भी वैक्सीन के बूस्टर डोज को बनाने में लगे हुए हैं।
दरअसल, कंपनियों का मानना है कि वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है और उससे निपटने के लिए समय-समय पर हमें बूस्टर डोज की जरूरत होगी। दुनिया में यूएई कुछ उन चुनिंदा देशों में शामिल था जिसने बहुत तेजी से कोरोना वैक्सीन लगाना शुरू किया था। यूएई अब तक एक करोड़ 15 लाख लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन लगा चुका है।
Neha Dani
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