दिल्ली। भारत सरकार ने आखिर सोमवार को सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू कर दिया। हालांकि इस अफ्रीकी देश में सत्ता पर कब्जे के लिए दो परस्पर विरोधी सैन्य गुटों में हिंसा शुरू होने के बाद से ही भारत सरकार वहां भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों में लगी हुई थी। हालात इतने जटिल थे कि पर्याप्त ग्राउंड वर्क के बगैर इस तरह का अभियान शुरू नहीं किया जा सकता था। इसलिए जहां विदेश मंत्रालय सभी संबंधित पक्षों से बातचीत कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा था कि भारत सरकार के ऐसे किसी ऑपरेशन को नुकसान न पहुंचाया जाए, वहीं सूडान में फंसे भारतीयों से संपर्क कर उनके हालात की जानकारी लेते हुए उन्हें उचित सलाह भी दी जा रही थी। बहरहाल, ताजा सूचनाओं के मुताबिक करीब 500 भारतीय वहां के प्रमुख बंदरगाह पोर्ट सूडान पहुंच चुके हैं और कई अन्य पहुंचने वाले हैं। इन सबको वहां से निकालने की कवायद चल रही है। हालांकि सूडान में फंसे कुल भारतीयों की संख्या करीब 4000 बताई जा रही है। इसे देखते हुए 500 लोगों की संख्या बहुत कम है, लेकिन यह एक अच्छी शुरुआत जरूर कही जा सकती है।
एक बार लोगों के सुरक्षित ढंग से पोर्ट सूडान पहुंचने और फिर वहां से उन्हें निकाले जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाए तो फिर इसमें तेजी भी लाई जा सकती है। ध्यान रहे, संकट के ऐसे मौकों पर भारतीयों को सुरक्षित निकालने का भारत सरकार का पुराना रेकॉर्ड रहा है। पहले खाड़ी युद्ध (1990-91) के दौरान एयर इंडिया के विमानों के जरिए 1,60,000 लोग कुवैत से निकाले गए थे। हाल के वर्षों की बात करें तो यमन (2015), अफगानिस्तान (2021) और यूक्रेन (2022) के ऐसे अभियान भी खासे चर्चित रहे। बहरहाल, भारतीयों को सूडान से सुरक्षित निकालना समस्या का सिर्फ एक पहलू है। सूडान कई वजहों से हमारे लिए काफी अहमियत रखता है। वहां तेल क्षेत्र में भारत के महत्वपूर्ण आर्थिक हित हैं। वह भारत के लिए कच्चे तेल का प्रमुख सप्लायर भी है। ऐसे में अगर वहां जारी सत्ता संघर्ष जल्द काबू में नहीं आया तो यह देश लंबे समय की अस्थिरता में फंस सकता है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। प्रत्यक्ष आर्थिक हितों के अलावा भी सूडान की यह हिंसा भारत के हितों को प्रभावित कर सकती है। अफ्रीका में शांति स्थापित करने के प्रयासों में भारत सक्रिय रूप से शामिल रहा है। ऐसे में यह हिंसा जारी रही तो भारत के उन प्रयासों की सार्थकता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। यही नहीं, सूडान की सीमा इजिप्ट, इथियोपिया, लीबिया आदि देशों से लगती है। ये देश पहले से ही आंतरिक संघर्षों में उलझे हैं। ऐसे में इस पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा हो सकती है, जो किसी के हक में नहीं होगी। जरूरी है कि समय रहते इस संघर्ष को रोकने के प्रयास तेज किए जाएं।
आईएनएस सुमेधा 278 यात्रियों के साथ जेद्दाह पहुंचा।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 25, 2023
विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने ट्वीट किया, "मैं सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान और सऊदी अरब के अधिकारियों को उनके पूर्ण सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं।" pic.twitter.com/2UWVVNJhoG