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कचरा खोजने में मदद करेंगे नासा के ये सैटेलाइट

Gulabi
29 Jun 2021 10:29 AM GMT
कचरा खोजने में मदद करेंगे नासा के ये सैटेलाइट
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NASA

वैज्ञानिकों ने अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के सैटेलाइट के आंकड़ों का नया उपयोग खोजा है. वे अब सैटेलाइट का उपयोग महासागरों (Oceans) में घूम रहे माइक्रोप्लास्टिक (Micro plastic) का पता लगाने के लिए करेंगे. हर साल लाखों टन की तादात में प्लास्टिक का कचरा महासागरों में चला जाता है. इसके बारे में पता लगाना बहुत ही मुश्किल कार्य हो गया है, लेकिन सैटेलाइट को आंकड़ों की मदद से शोधकर्ता उसी समय से निगरानी करेंगे जब ये महीन प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करते हैं. इससे वे यह भी पता लगा सकेंगे कि प्लास्टिक कैसे और कहां जमा हो रहा है इससे उसे हटाने में भी मदद मिल सकेगी.

कचरे से बनते हैं महीन कण
वैज्ञानिकों का मानना है कि हर साल करीब 80 लाख टन का प्लास्टिक का कचरा अलग अलग जगहों से माहासागरों में पहुंच रहा है. सूर्य और समुद्री के कारण ये प्लास्टिक माइक्रो प्लास्टिक में बदल जाता है और ये महीन टुकड़े समुद्री जीवन पर बहुत बुरा असर डालते हैं. ये हजारों मील का सफर कर लेते हैं जिससे इन्हें पकड़ना या हटाना बहुत मुश्किल हो जाता है.
किस सैटेलाइट के आंकड़े
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन के वैज्ञानिकों की इस तकनीक में वैज्ञानिक नासा के साइक्लोन, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (CYGNSS) से जमा किए गए आंकड़ों का उपयोग करेंगे. आठ सैटेलाइट का यह समूह राडार का उपयोग कर दुनिया में आने वाले तूफानों की ताकत और हवा की गति की जानकारी देता है.

कैसे पता लगाया जाता है माइक्रोप्लास्टिक का
नासा के मुताबिक इस आधुनिक तकनीक पर काम करते समय वैज्ञानिकों की एक टीम उनके इलाकों की खोज करेगी जहां महासागर बहुत चिकने थे जो वहां माइक्रोप्लास्टिक होने की आसान पहचान होती है. इसके बाद उन इलाकों की तुलना अवलोकनों से की जाती है जिसके बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि चिकने पानी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है.

मौसम के हिसाब से बदलती है मात्रा
शोधकर्ताओं ने पाया है कि माइक्रोप्लास्टिक की दुनिया में मात्रा मौसम के हिसाब से बदलती रहती है. उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत महासागर में गर्मी के मौसम माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा ज्यादा होती है. इसमें ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच

कैसे जमा होते है ये
शोधकर्ताओं का कहना है कि उच्च मात्रा वाले माइक्रोप्लास्टिक वाले इलाके जैसे कि ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच, बनते हैं क्योंकि वे महासागरों की धाराओं और भवरों के कनवर्जेंस जोन स्थित होते हैं. यहां माइक्रोप्लास्टिक इन धाराओं और भवरों के पानी के बहाव के साथ आ जाते हैं और एक जगह जमा हो जाते हैं.

और दक्षिणी गोलार्द्ध में
वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में भी वहां के गर्मी के मौसम माइक्रोप्लास्टिक जमा होने की मात्रा जनवरी और फरवरी के महीनों में होती है. ठंड में मात्र कम होती है क्यों कि तेज धाराएं माइक्रोप्लास्टिक को तोड़ती हैं और लंबवत मिश्रण उन्हें नीचे जमा होने से रोकता है. आंकड़ों ने बताया है माइक्रोप्लास्टिक का प्रमुख स्रोत यांगत्से नदी का मुहाना है.

शोधकर्ताओं ने महासागरों की सफाई के लिए पहले ही एक डच क्लीन कंपनी से बात करना शुरू कर दिया है. इस शोध की अंतिम रिपोर्ट इसी महीने के पहले पखवाड़े में IEEE ट्रांजेक्शन ऑफ जियोसाइंस एंड रिमोट सेंसिंग में प्रकाशित हुई है. इस शोध के प्रमुख अन्वेषणकर्ता क्रिस रफ का मानना है कि इस दिशा में अभी सिर्फ शुरुआत हुई है.
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