x
लात्विया, स्लोवेनिया और बुलगारिया का नाम शामिल है.
कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) को रोकने के लिए जब से दुनियाभर में टीकाकरण अभियान (Vaccination Drive) शुरू हुआ है, तभी से ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन (COVID Vaccine) सबसे ज्यादा चर्चा में बनी हुई है. इन दिनों इस वैक्सीन को लेकर खूब बवाल मचा हुआ है. यूरोपीय संघ (European Union) के कई देशों ने वैक्सीन के इस्तेमाल अस्थायी रूप से रोक लगा दी है. इनका कहना है कि वह बचाव के उपाय के तौर पर ऐसा कर रहे हैं. मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization), यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) और खुद एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने भी बयान दिया है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है.
कुछ दिन पहले डेनमार्क, आयरलैंड और थाईलैंड सहित यूरोप के कई देशों ने वैक्सीन के इस्तेमाल पर अस्थायी रोक लगा दी थी (AstraZeneca Vaccine Banned Countries). इन्हें ऐसे कई मामले मिले, जिनमें मरीजों को वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के जमने की शिकायत सामने आई थी. हालांकि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जो ये साबित कर सकें कि खून के थक्के की समस्या वैक्सीन की डोज लेने के बाद ही हुई हो. विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी ने कहा कि डाटा से ऐसा नहीं लगता कि वैक्सीन से थक्के की समस्या हुई है. इन्होंने कहा कि लोगों को वैक्सीन लगाना जारी रखना चाहिए.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
डेनमार्क यूरोप (AstraZeneca Vaccine Ban in Denmark) का ऐसा पहला देश है, जिसने सबसे पहले वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगाई. यहां कई लोगों में खून के थक्के जमने के मामले सामने आए थे. एक शख्स की वैक्सीन की डोज लेने के 10 दिन बाद मौत हो गई, उसे खून के थक्के जमने की समस्या हो गई थी. यहां के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कम से कम दो हफ्ते के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा, साथ ही मामले में जांच करने की बात कही गई. इन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिया कि 'वर्तमान में यह साफ नहीं कहा जा सकता कि वैक्सीन और खून के थक्के जमने के बीच कोई संबंध है या नहीं.' बाद में फिर बुलगारिया, आइसलैंड, थाईलैंड, नार्वे और कॉन्गो ने भी इस तरह का कदम उठाया.
नार्वे में ब्लड प्लेटलेट्स कम होने के मामले
बीते शनिवार को नार्वे में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने वाले 50 साल से कम उम्र के चार लोगों में भी ब्लड प्लेटलेट्स कम होने की समस्या पाई गई. जिससे गंभीर रक्तस्राव (खून बहना) हो सकता है. फिर रविवार को आयरलैंड और नीदरलैंड ने घोषणा करते हुए कहा कि वह भी वैक्सीन के इस्तेमाल पर अस्थायी रोक लगा रहे हैं (AstraZeneca Vaccine and Blood Clots). नीदरलैंड के अधिकारियों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह बचाव के सख्त उपाय के तौर पर ये फैसला ले रहे हैं. फिर इसी सोमवार को यूरोप के तीन बड़े देश जर्मनी, इटली और फ्रांस ने भी वैक्सीन पर रोक लगा दी. इनके बाद स्पेन, पुर्तगाल और स्लोवेनिया भी इसी रेस में जुड़ गए. हालांकि कई देशों में अब भी ये वैक्सीन लोगों को दी जा रही है, जिसमें भारत का नाम भी शामिल है.
ब्लड क्लॉटिंग क्या है और कितनी खतरनाक है?
ब्लड क्लॉटिंग को खून का थक्का जमना भी कहा जाता है. आपने खुद ऐसा महसूस किया होगा, जब शरीर के किसी हिस्से पर चोक लगने के बाद खून पपड़ी की तरह जम जाता है, ये खून को बहने से रोकता है (Blood Clotting Disorder). इसे थ्रोम्बोसिस भी कहते हैं. चोट लगने या फिर कट लगने की स्थिति में ब्लड क्लॉटिंग जरूरी होती है. लेकिन अगर यही क्लॉटिंग शरीर के भीतर होने लगे तो खतरनाक साबित हो सकती है (Blood Clotting Explain). इससे जान जाने का खतरा भी होता है. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि ब्लड क्लॉटिंग से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन जब ये एक जगह से दूसरी जगह फैलने लगे और टूटने के बाद नसों के जरिए दिल या फेफड़ों तक पहुंच जाए तो रक्त के प्रवाह को रोक सकती है. क्लॉटिंग ब्रेन, फेफड़ों, बाजू और पेल्विस में भी हो सकती है.
एस्ट्राजेनेका ने क्या कहा?
कई देशों ने जब वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगई तो एस्ट्राजेनेका ने कहा कि उसने वैक्सीन लेने वाले यूरोप के 1.70 करोड़ लोगों के डाटा की ध्यान से समीक्षा की है. उसने कहा, 'किसी भी देश में, किसी भी लिंग या फिर आयु वर्ग में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो खून के थक्के जमने का खतरा बताता हो.' गौरतलब है कि इस वैक्सीन को ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया है (AstraZeneca Vaccine From Which Country). भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) लाइसेंस के तहत ये वैक्सीन बना रहा है.
डब्ल्यूएचओ और यूरोपीय संघ ने क्या कहा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO on AstraZeneca Issue), यूरोपीय संघ की यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी और कई देशों के नियामकों ने कहा है कि लोगों को वैक्सीन लगाना जारी रखना चाहिए. इनका कहना है कि वैक्सीन नहीं लगाना अधिक नुकसानदायक हो सकता है. क्योंकि दुनयाभर के देशों में कोरोना वायरस का खतरा एक बार फिर बढ़ रहा है. ऐसे में खतरे को टालने के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगाना ठीक नहीं है. ब्रिटेन के दवा नियामक ने कहा, 'लोगों की सुरक्षा हमेशा प्राथमिक रहेगी. लोगों को अब भी आगे जाना चाहिए और जब उन्हें कहा जाए तब अपनी कोविड 19 वैक्सीन लेनी चाहिए.' जिन लोगों की मौत हुई है, उसमें भी ये साफ नहीं है कि ऐसा वैक्सीन के कारण हुआ है या उन्हें पहले से ही कोई बीमारी थी.
जांच में क्या पाया गया?
इतनी शिकायतें मिलने के बाद यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (European Medicines Agency on AstraZeneca) ने समीक्षा की और कहा वैक्सीन बिल्कुल 'सुरक्षित और प्रभावी' है. साथ ही कहा कि वैक्सीन से खून के थक्के जमने का खतरा नहीं है. ईएमए की इस घोषणा के बाद ज्यादातर यूरोपीय देशों ने कहा कि वह जल्द ही वैक्सीन का दोबारा इस्तेमाल शुरू कर देंगे. इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, लिथुआनिया, लात्विया, स्लोवेनिया और बुलगारिया का नाम शामिल है.
Next Story