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यूक्रेन में रूसी टैंकों की भीषण बर्बादी दिखी, युद्ध लंबा खिंचने पर पुतिन पर है जबरदस्त प्रेशर

Renuka Sahu
7 May 2022 1:04 AM GMT
There was a horrific destruction of Russian tanks in Ukraine, there is tremendous pressure on Putin as the war drags on
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फाइल फोटो 

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की रूस जैसी महाशक्ति को लगातार कई मोर्चों पर गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) रूस (Russia) जैसी महाशक्ति को लगातार कई मोर्चों पर गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं. खासतौर से टैंकों की तबाही को लेकर. पिछले 72 दिनों में यूक्रेन में रशियन टैंकों की भीषण बर्बादी दिखी है. आप कह सकते हैं कि 10 हफ्ते में यूक्रेन (Ukraine) रूस के टैंकों का कब्रिस्तान बन गया है, लेकिन इस तबाही के पीछे की वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इरपिन, बुचा, खारकीव, खेरसोन इन शहरों में आसमान का सीना चीरती मिसाइल जैसे ही महाबली रशियन टैंक पर गिरी पल भर में पुर्जा-पुर्जा उड़ गया. चंद सेकेंड में ही सड़कें ऐसे दिखने लगी जैसे मानों रूस के टैंकों का कब्रिस्तान बन चुकी हैं.

यूक्रेन को तहस-नहस करने का ख्वाब देखने वाली रशियन सेना इतनी बड़ी तबाही के लिए तैयार नहीं थी, ना ही इस बात का अंदाजा था, लेकिन पुतिन की सेना को ये चुनौती यूं ही नहीं दी गई. जानना चाहते हैं कैसे तो सुनिए, लेकिन पहले बर्बादी का आंकड़ा देखिए. यूक्रेन की इंटर न्यूज के मुताबिक युद्ध में काउंटर अटैक करते हुए जेलेंस्की के जाबांज फौजियों ने जमीनी लड़ाई में रूसी फौज को घुटनों पर ला दिया. रूस के 800 से ज्यादा टैंकों को एक ही बारूदी धमाके में आग का गोला बना दिया गया. 1500 से ज्यादा बख्तरबंद गाड़ियां बर्बाद हो गई. 400 से ज्यादा तोप बर्बाद हो गए. हालांकि सबसे बड़ा नुकसान रशियन टैंक को पहुंचा.
रशियन टैंक पर भारी पड़ी मॉडर्न अमेरिकी मिसाइलें
आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि जंग के मैदान में रशियन टैंक पर मॉडर्न अमेरिकी मिसाइलें भारी पड़ी, लेकिन इस कामयाबी के पीछे का खुलासा बेहद चौंकानेवाला है. अमेरिका के सबसे भरोसेमंद और विश्वसनीय न्यूज नेटवर्क में से एक माने जाने वाले CNN का दावा है कि रूस के टैंकों की बड़ी तबाही की वजह उसका डिजाइन था. खराब डिजाइन की वजह से रूसी फौज के लिए उनके टैंक चलता फिरता लोहे का कब्र बन गए. CNN ने अपनी रिपोर्ट में सबड़े बड़ा खुलासा ये भी किया है कि टैंकों में खराबी की बात सभी पश्चिमी देश पहले से जानते हैं.
रूसी टैंक्स की कमी 1991 और 2003 में इराक के खिलाफ खाड़ी युद्धों के दौरान पश्चिमी सेनाओं के ध्यान में आए, जब बड़ी संख्या में इराकी सेना के रूस में बने टी-72 टैंकों को तबाह किया गया था. CNN के कॉरेस्पोंडेंट Brad Lendon ने अपनी रिपोर्ट में खराब डिजाइन और कमियों पर भी डिटेल में जानकारी दी है. वेस्टर्न एक्पर्ट इसे "जैक-इन-द-बॉक्स इफेक्ट" कहते हैं. यानी टैंक में समस्या इस बात से संबंधित है कि टैंकों के गोला-बारूद को कैसे स्टोर किया जाता है. आधुनिक पश्चिमी टैंकों के विपरीत रूसी अपने टैंक के अंदर turrets में एक साथ कई गोले रखते हैं. turrets टैंक के अंदर का वो हिस्सा है, जहां गोला-बारूद रखे जाते हैं. यही रशियन टैंकों को सबसे ज्यादा असुरक्षित बनाता है, क्योंकि एक हिट भी एक चेन रिएक्शन शुरू कर सकता है जो उनके सभी गोले में विस्फोट करा सकता है.
रशियन टैंकों का डिजाइन तीन से चार दशक पुराना
ये धमाका इतना विध्वंसक हो सकता है कि दो मंजिला इमारत भी पल भर में उड़ जाए. यूक्रेनी डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से जारी इन वीडियो में भी ऐसा देखा जा सकता है. यूक्रेन की सेना रूस के टैंकों की कमजोरी का फायदा उठाते हुए एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों का धुआंधार इस्तेमाल कर रहे हैं. टैंक ऑपरेशंस की जानकारी रखने वालों का कहना है कि रशियन टैंकों का डिजाइन तीन से चार दशक पुराना है जबकि एंटी-टैंक मिसाइलों और रॉकेट को मॉडर्न जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया है और ऐसे में मौजूदा हालात में वो कमजोर डिजाइन हावी साबित हो रहे हैं.
रूस और यूक्रेन वॉर के पहले 72 दिन में ही दुनिया की दो सुपरपावर के हथियार भंडार में भारी कमी हो गई है. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि अमेरिका और रूस की मिसाइलें और घातक हथियारों का भंडार खत्म हो रहा है. अमेरिका के सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने ट्विटर पर बड़ी ही चौंकाने वाली बात कही है. सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने लिखा कि अमेरिका ने अपनी करीब एक तिहाई जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलें यूक्रेन को भेजी हैं. Senate Armed Services Committee के चेयरमैन सीनेटर Jack Reed ने भी अमेरिका के हथियारों की कमी को लेकर इसी तरह की चिंता जताई है. सीनेटर Jack Reed ने कहा कि यूक्रेन में स्टिंगर्स और जेवेलिन मिसाइलों की सप्लाई करते वक्त अमेरिका को अपने स्टॉक का भी ख्याल रखना चाहिए. इस बीच रूस के हथियारों को लेकर भी ब्रिटेन के दो टॉप अफसरों ने बड़ा दावा किया है.
दुनिया की सबसे ताकतवर आर्मी का सिर्फ 10 हफ्ते के युद्ध ने ऐसा हाल कर दिया है. दावा चौंकाने वाला है, लेकिन जिस शख्स ने दावा किया है, उसकी बातों को दरकिनार भी नहीं किया जा सकता. यूक्रेन वॉर के 10 हफ्ते बाद ब्रिटेन के चीफ ऑफ द डिफेंस स्टाफ एडमिरल सर टोनी राडकिन ने टॉक टीवी के लेटेस्ट इंटरव्यू में रूसी आर्मी को लेकर बहुत ही चौंकाने वाली बातें कही हैं. इस इंटरव्यू में सर टोनी राडकिन ने कहा कि रूसी सेना ने जिस रफ्तार से मिसाइलों और घातक हथियारों का इस्तेमाल किया है, उसकी वजह से अब पुतिन को 'लॉजिस्टिक्स युद्ध' में शामिल होना पड़ा है यानि रूस अब संसाधनों के लिए संघर्ष कर रहा है, ताकि युद्ध को जारी रखा जा सके.
यूक्रेन के साथ युद्ध लंबा खिंचने पर पुतिन पर है जबरदस्त प्रेशर
टोनी राडकिन ने कहा कि यूक्रेन वॉर को लेकर जो खाका रूस ने शुरू में तैयार किया था वो 10 हफ्ते से चल रहे युद्ध से बिल्कुल अलग है. सर टोनी राडकिन का कहना है कि यूक्रेन वॉर लंबा खिंच गया है, कोई रिजल्ट नहीं निकल पाने की वजह से पुतिन पर जबरदस्त प्रेशर है. कुछ इसी तरह की बातें ब्रिटेन के डिफेंस सेक्रेटरी बेन वालेस ने फिनलैंड की यात्रा के दौरान भी कही थी. बेन वालेस ने कहा था कि यूक्रेन में जीत हासिल करने में रूस नाकामयाब रहा है और इस विफलता के लिए रूसी जनरल्स एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. ब्रिटेन के दो टॉप लेवल के अफसरों की तरफ से ये दावे तब किए गए हैं जब रूस के सरकारी मीडिया में ब्रिटेन को दुनिया के नक्शे से मिटा देने की बात कही गई. रूस के सरकारी टीवी चैनल में कहा गया कि इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल सरमत से ब्रिटेन को हमेशा के लिए तबाह कर दिया जाएगा.
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