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कुछ मरीजों को अस्पताल में जगह ही नहीं मिल रही है और ऐसे में वो अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं।
बीजिंग: चीन में कोविड-19 के बीएफ7 वैरियंट की सुनामी सी आ गई है। यहां पर दिन पर दिन स्थितियां बिगड़ती जा रही है। जो तस्वीरें इस समय आ रही हैं उनमें साफ देखा जा सकता है कि अस्पताल में इस कदर भीड़ है कि कॉरिडोर में ही मरीतों की मौत हो रही है। सिर्फ इतना ही नहीं मुर्दाघर भी भरे पड़े हैं। मुर्दाघरों की हालत यह है कि यहां पर शवों को रखने की जगह नहीं है और कंटेनर्स में शवों का ढेर लगा हुआ है। इस स्थिति के बीच भी चीन ने तय किया है कि वह आठ जनवरी से प्रतिबंधों को खत्म करेगा। चीनी अथॅारिटीज ने लॉकडाउन खत्म करने और बॉर्डर को खोलने को फैसला कर लिया है। इस फैसले ने दुनियाभर की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
चीन में स्थितियां बेकाबू
शवदाह गृहों के बाहर शवों के ढेर देखे जा सकते हैं। मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें अस्पतालों के बाहर लगी हुई हैं। डॉक्टरों के अभाव में उन्हें ऐसे ही कॉरिडोर में छोड़ दिया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो राष्ट्रपति शी जिनपिंन ने जब जीरो कोविड नीति को खत्म करने का फैसला किया तो उसी समय इस बात की आशंका थी कि देश में स्थितियां अनियंत्रित होने वाली हैं। सरकार ने तय किया है कि अब कोविड केसेज से जुड़े आंकड़े जारी नहीं किए जाएंगे। ऐसे में इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है कि एक दिन में कितने मरीज आ रहे हैं और कितने लोगों की जान जा रही है।
पश्चिमी मीडिया की मानें तो एक दिन में पांच हजार मरीज दम तोड़ रहे हैं। 24 घंटे तक शवदाह गृह काम कर रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि शवों के ढेर को कैसे संभाला जाए। यहां पर हजमत सूट पहने कर्मी दिन रात डेडबॉडीज को लाने का काम कर रहे हैं। कुछ वीडियो भी सामने आए हैं नजर आ रहा है कि जिनमें राजधानी बीजिंग में शिपिंग कंटेनर्स में जरिए लाशों को शवदाह गृह लेकर आया जा रहा है।
डरावने वीडियोज
कोविड केसेज के जो वीडियोज आ रहे हैं वो वाकई डराने वाले हैं। चीन के कई शहरों के शवदाह गृहों में शवों की भरमार है। चीन पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 की लहर से जूझ रहा है और बीजिंग के दक्षिण पश्चिम में स्थित छोटे शहरों और कस्बों में स्थित अस्पतालों के आपात वार्ड जरूरत से ज्यादा भरे हुए हैं। आईसीयू से एंबुलेंस लौट रही हैं, तो मरीजों के बेचैन रिश्तेदार बिस्तरों की तलाश कर रहे हैं। बिस्तरों की कमी के कारण अस्पताल की बेंच और फर्श पर मरीजों को लिटाना पड़ रहा है। कुछ मरीजों को अस्पताल में जगह ही नहीं मिल रही है और ऐसे में वो अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं।
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Neha Dani
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