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पाकिस्तान की सरकार ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए देश में नेशनल इमरजेंसी की घोषणा की है।
पाकिस्तान में बाढ़ के साथ अब हालात और खराब हो रहे हैं। अब बाढ़ प्रभावित इलाकों में संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। देश भर में 6.60 लाख से अधिक लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। ये आंकड़े जुलाई से सितंबर के बीच के हैं। पाकिस्तान सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 149551 लोग डायरिया और 142739 स्किन रिलेटेड बीमारी से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, 132485 लोग सांस की बीमारी, करीब 50 हजार लोग मलेरिया से जूझ रहे हैं।
सिंध प्रांत के स्वास्थ्य मंत्री ने जो आंकड़े पेश किए हैं, वो चौकाने वाले हैं। उनके मुताबिक, अकेले सिंध प्रांत में ही 47 हजार महिलाएं गर्भवती हैं और अलग-अलग कैंपों में रह रही हैं। इतना ही नहीं, 1.34 लाख लोग डायरिया और करीब 44 हजार लोग मलेरिया के शिकार हैं। सरकार के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि बाढ़ प्रभावित इलाकों से रेस्क्यू कर निकाले गए और अलग जगहों पर रखे गए लोगों में से करीब 1 लाख लोग स्किन से जुड़ी समस्या से ग्रसित हैं। बाढ़ की वजह से जमीन के अंदर रहने वाले सांप और दूसरे जहरीले जीव भी बाहर आ गए हैं।
अकेले सिंध प्रांत में ही करीब 101 लोगों को सांप काट चुके हैं। वहीं, 500 लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा है। इतना ही नहीं, सिंध में बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब लोगों को सांस लेने में दिक्कत की भी समस्या हो रही है। सिंध देश के उन प्रांतों में से एक है, जहां पर बाढ़ की स्थिति बेहद विकराल रूप ले चुकी है। इस बाढ़ की वजह से लाखों लोग बेघर हुए हैं। यूनाइटेड नेशनल पापुलेशन फंड (UNFPA) की रिपोर्ट बताती है कि देशभर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में करीब 6.50 लाख महिलाएं गर्भवती हैं, जिनमें से 73 हजार महिलाओं की डिलीवरी इस माह हो जाएगी। यूएन की की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन इलाकों में जल्द ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार है।
यूएन की रिपोर्ट यहां तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पाकिस्तान में लिंग आधारित हिंसा में हुई बढ़ोतरी पर भी चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बाढ़ की वजह से करीब 10 लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पाकिस्तान की सरकार ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए देश में नेशनल इमरजेंसी की घोषणा की है।
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