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दुनिया के सबसे पुराने गहने की खोज, आदिमानव करते थे इस्तेमाल

Neha Dani
7 July 2021 7:40 AM GMT
दुनिया के सबसे पुराने गहने की खोज, आदिमानव करते थे इस्तेमाल
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इन इलाकों में सामूहिक दल बनाकर जाते थे. इसकी विस्तृत रिपोर्ट नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुई है.

पुरातत्वविदों ने जर्मनी (Germany) में हार्ज पहाड़ों की तलहटी स्थित यूनिकॉर्न गुफा (Unicorn Cave) के प्रवेश द्वार के पास अति प्राचीन दुर्लभ आभूषण (Rare jewellery) की खोज की गई थी. जहां इन्हें रखने के लिए एक बड़ा सपाट बेस बनाया गया था.

आदिमानव करते थे इस्तेमाल
शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया का सबसे पुराना आभूषण यानी गहना (Ornament) 51 हजार साल पुराना है. आभूषण हिरण (Deer) के पैर की उंगली से बना है. जर्मनी (Germany) के हनोवर में स्टेट सर्विस फॉर कल्चरल हेरिटेज की टीम का कहना है कि इसे बड़े तरीके और कुशलता के साथ बनाया गया था. टीम के मुताबिक शारीरिक सजावट के ये सामान आज की तुलना में कही बड़े और चौड़े होते थे. मानवों की प्राचीन प्रजाति Neanderthals इनका इस्तेमाल करती थी
हड्डियों से बने आभूषण
टीम के मुताबिक हजारों साल पहले जानवरों की हड्डियों में मौजूद कठोरता दूर करने के लिए पहले उन्हें उबाला गया होगा. उसके बाद हड्डियों पर नक्काशी हुई होगी. स्टडी लीडर डॉक्टर डिर्क ने कहा 'यह क्रिएटिविटी मानवों की उस प्रजाति की संज्ञानात्मक क्षमता का एक शानदार उदाहरण है जो निएंडरथल्स के संदर्भ में दिया जा सकता है.
गहनों में बारीक नक्काशी
टीम ने कहा कि इसका पैटर्न बेहद साफ है और नक्काशी काफी गहरी है. शेवरॉन को तराशने में करीब 90 मिनट का समय लगा होगा. हड्डियों में उकेरी गई 6 अलग-अलग रेखाएं हैं, जो बताती हैं उन्हे खास तरीके से संयोजित किया गया था. हड्डी में उकेरे गए निशान आधा इंच से एक इंच तक लंबे हैं. ये कलाकृति करीब ढाई इंच लंबी है, एक और आधा इंच चौड़ा और वजन सिर्फ एक औंस से अधिक है.
दुर्लभ खोज
शोध में शामिल डॉ लेडर ने गहनों के काफी बड़े होने की वजह बताई. दरअसल हजारों साल पहले आल्प्स के उत्तर दिशा स्थित इलाकों में मौजूद हिरण काफी बड़े होते थे. रिपोर्ट के मुताबिक, 'यह खोज विलुप्त प्रजातियों की सूझबूझ और समुचित व्यवहार के सबूत जुटाती है. 15 वीं सदी के बाद से खजाने की खोज में लगे लोग इन इलाकों में सामूहिक दल बनाकर जाते थे. इसकी विस्तृत रिपोर्ट नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुई है.



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