संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने विश्व विरासत की एक सूची तैयार की है. यह सूची काफी दिलचस्प है. यह पर्यटन जगत में स्वीकृति की एक तरह की सोने की मुहर है,
पर पिछले हफ्ते एजेंसी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण उनमें से एक तिहाई के 2050 तक गायब होने की संभावना है. इसे लेकर इसके चाहने वालों में चिंता है.
इस लिस्ट पर काम वर्ष 1978 से शुरू हुआ था. इसमें 1,150 से अधिक साइटें हैं और इसमें ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, ऑस्ट्रेलिया में ग्रेट बैरियर रीफ और ब्राजील में सेंट्रल अमेज़ॅन कंजर्वेशन कॉम्प्लेक्स जैसे पर्यटन स्थल शामिल हैं.
इस सूची में सबसे खास दुनिया के सबसे मशहूर और सबसे अधिक देखे जाने वाले ग्लेशियर भी शामिल हैं, जिनमें योसेमाइट और येलोस्टोन राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं.
जिन ग्लेशियरों के गायब होने की आशंका है, उनमें अफ्रीका में अंतिम शेष, किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या, पाइरेनीज़ मोंट पेर्डु और इटली के डोलोमाइट्स शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र के COP27 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के मिस्र में शुरू होने से कुछ दिन पहले जारी की गई इस रिपोर्ट ने टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए एक चुनौती पेश की है, जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में एक बड़ा योगदानकर्ता है. जिसका फूट प्रिंट 8 से11% के बीच अनुमानित है.