पहले समुद्र की गहराईयों में केबल और पाइप लाइन डालकर संचार और ऊर्जा क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा किया जाता था. पानी के नीचे सुरंग (Underwater tunnel) बनाने का चलन पूरी दुनिया में जोर पकड़ रहा है. चीन और यूरोप इस मामले में दुनिया की अगुवाई कर रहे हैं. फिलहाल तो चर्चा इस दुनिया की सबसे लंबी अंडरवाटर सुरंग (world's longest tunnel under sea underwater) की जो कि डेनमार्क और जर्मनी के बीच बन रही है. यह अनोखी सुरंग 2029 बनकर तैयार हो जाएगी.
दुनिया की सबसे लंबी पानी के नीचे बन रही सुरंग (World's longest Underwater tunnel) फेहमर्न बेल्ट फिक्स्ड लिंक टनल (Fehmarn belt link) है. 'यूरो न्यूज़' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समुद्री सुरंग के नीचे से रेल यातायात और सड़क यातायात दोनों संचालित होंगे. यह खास सुरंग जर्मनी और डेनमार्क को जोड़ेगी. इस प्रोजेक्ट का काम तेजी के साथ अच्छी तरह से चल रहा है दोनों देशों की सरकारें इसकी निगरानी कर रही हैं.
माना जा रहा है कि इस सबसे लंबी समुद्री सुरंग से पूरे यूरोप में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा. डेनमार्क में अब तक की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग परियोजना है. जो यूरोपीय यूनियन (EU) के Ten-T कार्यक्रम का हिस्सा है. इस परियोजना के जरिए पूरे महाद्वीप का ट्रांसपोर्ट लिंक तैयार होने के साथ इंटरकनेक्टिविटी भी मजबूत होगी. अपनी व्यापक महत्वाकांक्षाओं के महत्व को समझते हुए हुए, यूरोपीय संघ ने इसके निर्माण में €1.1 बिलियन यूरो का योगदान दिया है.
करीब 10 साल की तैयारी और रिसर्च के बाद फेहमर्न बेल्ट सुरंग (Fehmarn belt Tunnel) का निर्माण 2020 में शुरू हुआ था. 'यूरो न्यूज' की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सुरंग की लंबाई 18 किलोमीटर होगी. यह यूरोप का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है.
बाल्टिक सागर से 40 मीटर अंदर बन रही अनूठी सुरंग जर्मनी के फेहमर्न (Fehmarn) और डेनमार्क के लोलैंड (Lolland) आइलैंड को सीधे जोड़ेगी. वर्तमान में दोनों देशों के बीच नावों से करोड़ों लोग हर साल सफर करते हैं. नावों की यह सर्विस रोडबी (डेनमार्क) और पुटगार्डन (जर्मनी) के बीच है. नाव से इस समुद्री सफर में करीब 45 मिनट से 60 मिनट लगते हैं. पर सुरंग बनने से ट्रेन से यह दूरी 7 मिनट और कार से 10 मिनट में ही तय हो जाएगी.
फेहमर्न बेल्ट सुरंग (Fehmarn belt Tunnel) सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. इससे स्कैंडिनेविया देश और मध्य यूरोप आपस में जुड़ जाएंगे. इस सुरंग से रेल और सड़क मार्ग से माल-ढुलाई होगी. यातायात का यह माध्यम जलवायु के लिहाज से भी काफी अनुकूल माना जा रहा है.
डेनमार्क और जर्मनी के बीच बन रही इस दुनिया की सबसे लंबी अंडरवाटर टनल अपने आप में इंजीनियरिंग और विज्ञान के चमत्कार का नायाब नमूना होगी. जानकारों के मुताबिक अभी कोपेनहेगन (Copenhagen) से हैम्बर्ग (Hamburg) का सफर ट्रेन से करने में करीब पांच घंटे लगते हैं. लेकिन, इस सुरंग के बनने से इस दूरी को तय करने का फासला घटकर करीब दो घंटे रह जाएगा.