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दुनिया की सबसे विशाल शार्क नहीं होती मांसाहारी, जानें क्यों

Gulabi Jagat
28 July 2022 3:43 PM GMT
दुनिया की सबसे विशाल शार्क नहीं होती मांसाहारी, जानें क्यों
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सामान्यतः माना जाता है कि समुद्री विशाल जीव मांसाहारी (Carnivores) और खतरनाक होते हैं. लेकिन महासागरों में रहने वाल सबसे विशाल शार्क अपने शांत स्वभाव के लिए भी मशहूर हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि हम उनके बारे में काफी कम जानते हैं. व्हेल शार्क (Whale Sharks) फिल्टर फीडर्स होती हैं , लेकिन उनके बारे कहा जाता है कि वे क्रिल जैसे छोटे जीवों को पानी में से छान कर खाती हैं. वे इनके साथ ही हरे शैवाल (Green Algae) और अन्य प्रकाश संश्लेषण वाले जीवों को भी खाती हैं.
शोधकर्ताओं को इस जानकारी परविश्वास नहीं हुआ. वे जानना चाहते थे कि क्या यह वनस्पति व्हेल शार्क (Whale Sharks) मांसाहार (Carnivores) के लिए महज सजावट तो नहीं है. या ये किसी तरह की अन्य सलाद की तरह तो नहीं जिससे वे ज्यादा सेहतमंद रह सकें. शोधकर्ताओं ने इन 10 मीटर विशालकाय महासागरीय जीवों के शारीरिक अपशिष्ट और चर्म नमूने लिए और उनका अध्ययन कर पाया कि बहुत ज्यादा पानी के साथ ही ये क्रिल (Krills) तो खाते हैं , लेकिन उनका मेटाबॉलिज्म में योगदान नहीं होता यानि वे उन्हें ज्यादा नहीं खाते हैं.
शार्क व्हेल (whale sharks) जिनमें हड्डियों की जगह कार्टिलेज होता है, वास्वत में बहुत सारे शैवाल से पोषक तत्व निकाल लेती हैं. ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैराइन साइंस के फिश बायोलॉजिस्ट मार्क मीकन बताते हैं कि इससे वैज्ञानिक इन व्हेल के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर हुए हैं जो उनके भोजन के बारे सोचा करते थे. शोधकर्ताओं के ऊतकों के विश्लेषण (Tissue Analysis) ने खुलासा किया है कि उनका फैटी एसिड प्रोफाइल मांसाहारी की तुलना में सर्वाहारी जीवों के ज्यादा नजदीक है.
शोधकर्ताओं ने पाता कि उनके चमड़ी आर्किडोनिक एसिड से समृद्ध है जो बड़ी मात्रा में विशाल व्हेल शार्क (whale sharks) में ही मौजूद रहती है. 2019 में एक अन्य अध्ययन में ऊतकों के नमूनों के अध्ययन में पता चला था कि व्हेल शार्क कम से कम कुछ जीवों का खा रही हैं जो खाद्य शृंखला (food chain) में पौधों और शैवाल जैसे जीवों वाले निचले स्तर पर होते हैं इतना ही नहीं व्हेल शार्क ही सर्वहारी (Omnivores) नहीं हैं, बोनेटहेड शार्क भी काफी मात्रा में समुद्री घास खाती हैं.
इन जानवरों को शोवलहेड्स (shovelheads) भी कहा जाता है. ये घने समुद्री घास वाले आवासों में प्रायः केकड़ों, मोलुस्क और मछलियों जैसे छोटे शिकार के साथ पौधेयुक्त पदार्थ भी निगल जाते हैं. और उनकी इस पौधों के पादर्थ की जरूरूत उनके शरीर और उनके पाचन क्षमता से भी परिलक्षित होती है. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ऐसा ही कुछ व्हेल शार्क (whale sharks) के साथ भी होता होगा. अपने उद्भव के इतिहास में वे जानवरों को पचाने के लिए शैवाल भी खाते होंगे लिकन अब वे उन जानवरों को पचाने के साथ ही शैवाल भी खाने लगे हैं.
वास्तव में व्हेल शार्क (whale sharks) कुछ ही क्रिल खाती हैं और उनकेसाथ ज्यादा मात्रा में शैवाल भी खाती हैं. इनकी खोज करने के लिए वे सतह की धाराओं का सहारा लेती हैं. लेकिन ऐसा ही प्रभाव महासागरों में प्लास्टिक के जमा होने पर भी होता है इसलिए वे दुर्घटनावश प्लास्टिक (Plastic) भी खा जाती हैं. शोधकर्ताओं ने व्हेलशार्क के शारीरिक अपशिष्ट में भी प्लास्टिक पाया है जिससे उनका पाचन धीमा हो जाता है. इस वजह से इनकी जनसंख्या (Population) भी कम होती जा रही है.
यह शोध इकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है. मीकन का कहना है कि जमीन पर विशालकाय जानवर शाकाहारी (Herbivores) होते हैं. लेकिन महासागरों के व्हेल और व्हेल शार्क (Whale Shark) जैसे जानवरों के बारे में हम सोचते हैं कि वे अपने से छोटे जानवरों को खाते होंगे. लेकिन ऐसा नहीं हैं. हकीकत यही है कि महासागरों में जानवरों का विकास (Evolution) जमीन के जानवरों के विकास से अलग नहीं है
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