विश्व
महिला को लगा कि वह भी कोरोना की चपेट में आई, बाद में सच्चाई पता चली तो उड़ गए होश, गंवाने पड़े दोनों पैर
Rounak Dey
12 Feb 2021 3:03 AM GMT
![महिला को लगा कि वह भी कोरोना की चपेट में आई, बाद में सच्चाई पता चली तो उड़ गए होश, गंवाने पड़े दोनों पैर महिला को लगा कि वह भी कोरोना की चपेट में आई, बाद में सच्चाई पता चली तो उड़ गए होश, गंवाने पड़े दोनों पैर](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/02/12/943562-40.webp)
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ब्रिटेन में एक महिला को लगा कि वह भी कोरोना की चपेट में आ गई है.
कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर दुनियाभर में जारी है. वैक्सीनेशन (Vaccination) के बीच ब्रिटेन (Britain) में मिले वायरस के नए स्ट्रेन (New Strain) ने दुनियाभर के देशों की चिंताएं बढ़ाई हुई हैं. वहीं, ब्रिटेन में एक महिला को लगा कि वह भी कोरोना की चपेट में आ गई है. लेकिन वह किसी और ही बीमारी से ग्रस्त थी और इस कारण उसे अपनी दोनों टांगों को गंवाना पड़ा है. दरअसल, चेर लिटिल (Cher Little) ने तेज बुखार और सरदर्द होने के बाद कोविड-19 (Covid-19) जांच के लिए बुकिंग करवाई. लेकिन 46 वर्षीय चेर को चेहरे पर दाने होने लगे और जल्द ही उनकी त्वचा काली पड़ने लगी. इसके बाद आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने बताया कि वह 'मेनिंगोकोकल सेप्टिसीमिया' (Meningococcal Septicaemia) से पीड़ित हैं.
डॉक्टरों ने कहा कि चेर लिटिल की जान को बचाने के लिए उनकी दोनों टांगों को काटना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि चेर अस्पताल में सबसे ज्यादा बीमार मरीज हैं. सिस्टर सायन लॉयड ने कहा कि जब तक उन्हें A&E में ले जाया जाएगा, तब तक सर से लेकर पैर तक उनकी पूरी त्वचा काली पड़ चुकी थी. पूरे शरीर पर छाले पड़ चुके थे और उनमें से खून निकलना शुरू हो चुका था. लॉयड ने बताया कि अस्पताल पहुंचने के 15 मिनट के भीतर ही वह कोमा में चली गईं. उनके कई सारे अंगों ने काम करना बंद कर दिया. ऐसा लगने लगा कि उनकी जल्द ही मौत हो जाएगी. हालांकि डॉक्टर उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे.
कोमा से बाहर निकलीं, तो हुआ कोरोना
डॉक्टरों ने 'मेनिंगोकोकल सेप्टिसीमिया' बीमारी के चलते चेर लिटिल के बचने की संभावना 20 फीसदी बताई. चेर ने तीन हफ्तों तक अपने जीवन के लिए संघर्ष किया. सिस्टर लॉयड ने बताया कि ये बेहद भी भयानक मंजर था. हर बार डॉक्टर उन्हें कोमा से बाहर लाने की कोशिश करते, लेकिन वह कोई प्रतिक्रिया ही नहीं देतीं. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वापस नींद में ही छोड़ दिया. तीन सप्ताह बाद चेर कोमा से बाहर आईं और उनका वेंटिलेटर सपोर्ट हटाया गया. इसके बाद वह खुद से सांस लेने लगीं. लेकिन तभी उनके ऊपर मुसीबत का एक और पहाड़ टूट पड़ा. दरअसल, वह अब कोरोना से संक्रमित हो चुकी थीं.
हाथों को कटने से बचाया, लेकिन टांग नहीं बचा सके डॉक्टर
सिस्टर लॉयड ने बताया कि हमें शुरू से ही बताया गया था कि कोमा में रहने के चलते उनके खून के बहाव में कमी आई है और इससे उनके हाथों और पैरों को व्यापक नुकसान होने की संभावना है. उनका पूरा शरीर दानों से भर गया था. डॉक्टरों ने किसी तरह उनके हाथों को कटने से बचा लिया. लेकिन उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी टांगों को काटने का फैसला किया और एक ऑपरेशन के बाद ऐसा कर दिया गया. सिस्टर ने बताया कि अगर उन्हें तत्काल अस्पताल नहीं लाया गया होता, तो उनकी जान जा सकती थी.
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