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क्रिटेशियस काल में बहुत से अजीब जानवर (Creatures) रहा करते थे
क्रिटेशियस काल में बहुत से अजीब जानवर (Creatures) रहा करते थे जो आज नहीं पाए जाते हैं. इनमें से डायानासोर (Dinosaurs) सबसे लोकप्रिय जानवर (Animals) हैं जिनका उस युग में धरती पर राज हुआ करता था. उसी युग में एक पानी का अजीब जीव भी रहता था जो शार्क (शार्क) के आकार था. इसके जीवाश्म (Fossil) का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिक इसके फिन के आकार से हैरान है जो काफी बड़ा था.
कहां पाई जाती थी ये शार्क
यह अजीब जानवर 9.3 करोड़ साल पहले धरती के महासागरों, खास कर आज के मैक्सिको के इलाके आसपास पाया जाता था. इस शार्क के लंबे फिन की वजह से उसकी चौड़ाई उसकी लंबाई से ज्यादा हो गई. वैज्ञानिकों को हैरानी हुई जब उन्होंने पाया कि इसके फिन की लंबाई 1.9 मीटर हुआ करती थी. जबकि उसकी सिर से पूंछ तक की लंबाई केवल 1.65 मीटर की थी.
और इसका खास तरह का भोजन
वैज्ञानिकों ने हाल ही में इस शार्क के पूरे जीवाश्म के मिलने की घोषणा की है. इस शार्क का नाम वैज्ञानिकों ने एक्विलोलोम्ना मिलरेस (Aquilolamna millrace) दिया है. उन्होंने बताया कि यह क्रिकेटशियस काल में तब रहा करता था जब धरती पर डायनासोर का राज था. इस अजीब शार्क का भोजन प्लवक या 'प्लैंकटॉन' (Plankton) हुआ करते थे.
ईगल शार्क वाला नाम
ईसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक एक्विलोलोम्ना नाम का मतलब ईगल शार्क होता है. इसे यह नाम इसकी लंबी पंखों जैसी फिन्स के कारण दिया गया है. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और वर्टीबरेट जीवाश्म विज्ञानी रोमेन वुलो का कहना है कि ये फिन्स मुख्य रूप से प्रभावी स्थायित्व प्रदान करते थे. इस शोध में जियो साइंसेस रेनेस से जुड़े वुरो के साथ यूनिवर्सिटी ऑफ रेने और फ्रांस के नेशनल सेंटर फॉर साइंटिपिक रिसर्च
और भी हो सकती हैं अजीब तरह की शार्क
वुलो ने बताया की एक्विलोलोम्ना बेशक असामान्य आकार वाले विलुप्त जीव का एक आदर्श उदारण है. इससे यह पता चलता है कि शार्क के उद्भव काल में असामान्य शारीरिक आकार विकसित हुए होंगे और उनके इतिहास में इस तरह के और भी प्रकार देखने को मिलें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
आकार दूसरी शार्क की ही तरह था लेकिन...
दूसरी शार्क और अन्य संबंधी जीवों की तरह एक्विलोलोम्ना की हड्डियों का ढांचे में काफी समानताएं दिखी हैं. उनका चिरपरिचित टॉरपेडो मछली के आकार की शारीरिक संरचना थी और दूसरी शार्क की तरह ही उनकी पूंछ हुआ करती थी. लेकिन उनके सीने पर लगे फिन बहुत ही ज्यादा अलग थे.
और भी थी विशेषताएं
शोधकर्ताओं का कहना है कि एक्विलोलोम्ना एक धीमी गति से तैरने वाली शार्क हुआ करती थी जो भोजन के लिए प्लवक या 'प्लैंकटॉन' खाने वाली आज की व्हेल शार्क या बास्किंग शार्क की तरह थीं. इन जानवरों में भोजन के लिए छन्नी जैसे प्रक्रिया होती है जिसे फिल्टर फीडिंग कहा जाता है. एक्विलोलोम्ना की फिल्टर फीडिंग कैसी थी यह अभी पता नहीं चल सका है.
एक्विलोलोम्ना मैंटा रे मछली की तरह तैरती है. मैंटा रे मछलियों के भी बड़े फिन होते हैं जो उनके सिर तक जुड़े होते हैं उनके तैरने पर ऐसा लगता है कि वे हवा में ग्लाइड कर रही हैं. बस मैंटा रे के मीनपक्ष या फिन फड़फड़ाते भी हैं, लेकिन एक्विलोलोम्ना के साथ ऐसा नहीं है.
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