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पृथ्वी जैसा है मंगल पर मौसम का हालात, फिर भी क्यों नहीं बनते इंद्रधनुष?

Gulabi
31 Dec 2021 10:20 AM GMT
पृथ्वी जैसा है मंगल पर मौसम का हालात, फिर भी क्यों नहीं बनते इंद्रधनुष?
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मंगल पर मौसम का हालात
मंगल ग्रह (Mars) का जिक्र होते ही हमारे दिमाग में ऐसे लाल ग्रह की छवि आती जहां हमारे वैज्ञानिक जीवन की तलाश कर रहे हैं. अगर अभी हम मंगल ग्रह पर पहुंच जाएं तो हम वहां ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकेंगे. इसके बाद भी मंगल पर जीवन के संकेतों की तलाश में अरबों खर्च हो रहे हैं. इसकी वजह यह है कि मंगल ग्रह की पृथ्वी (Earth) से कई समानताएं और अनुकूलताएं भी हैं जिनमें मौसम भी एक. हैरानी की बात है कि मंगल पर पृथ्वी जैसा मौसम होने के बाद भी वहां इंद्रधनुष (Rainbow) नहीं बनते इसका कारण नासा के वैज्ञानिक ने समझाया है.
मंगल और पृथ्वी में अंतर
मंगल ग्रह का वातावरण जीवन के प्रतिकूल होने के कई कारण हैं जिनमें बहुत कम तापमान और वायुमंडल में ऑक्सीजन का ना होना प्रमुख है. इसके अलावा वहां वायुमंडल में पृथ्वी जैसी सुरक्षा नहीं है जिससे वहां सूर्य और अंतरिक्ष से आने वाले हानिकारक विकिरण सतह तक पहुंचने से रुक नहीं पाते हैं. फिर वैज्ञानिकों को मंगल और पृथ्वी के मौसम की समानताएं बहुत उत्साहित करती हैं.
कुछ समानताएं भी हैं
मंगल ग्रह पर मौसम भले ही अलग हो लेकिन वहां की जलवायु और वहां का वायुमंडल पतला होने के बाद पृथ्वी की तरह ही है. यही वजह मंगल की भूआकृतियां हैं, जो बिलकुल पृथ्वी की भूआकृतियों की ही तरह दिखती है जो उसी तरह की जलवायु का कारण बनाती हैं. मंगल पर भी हवाएं और तूफान चलते हैं. वहां पर भी बादल होते हैं. यहां तक कि बर्फबारी भी होती है लेकिन यह बर्फ ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड की होती है.
कैसे बनता है इंद्रधनुष
एक नए वीडियो में नासा के वैज्ञानिक मार्क लेमौन ने समझाया है कि मंगल ग्रह की पृथ्वी से इतनी समानताएं होने के बाद भी वहां इंद्रधनुष क्यों नहीं बन पाते हैं. लेमैन बताते हैं कि इंद्रधनुष के बनने के लिए पानी से भी कुछ ज्यादा की जरूरत होती है जो केवल एक प्रमुख पदार्थ है. इंद्रधनुष तब बनते हैं जब सूर्य की किरणें गोलाकर बूंदों पर पड़ती हैं जिससे वे प्रतिबिंबित होकर इंसानी आंखों की ओर आती हैं. लेकिन इसके लिए केवल पानी की ही बूंदों की जरूरत होती है.
पानी की ही बूंदें क्यों
पानी की बूंदों की खासियत ये होती है ये गोलाकार की होती हैं. यह आकार उन्हें पृष्ठ तनाव की वजह से मिलता है जो पानी के अणुओं को एक साथ खींचे रखता है. वहीं इंद्रधनुष बर्फ की वजह से बनना असंभव है क्यों की उसकी जटिल सरंचना के कारण बर्फ के छोटे टुकड़े प्रकाश की किरणों को प्रतिबिंबित नही कर पाते.
मंगल की हवा में भी होती हैं पानी की बूंदें
सच्चाई यही है कि मंगल के वायुमंडल में बर्फ के छोटे छोटे टुकड़ों के साथ पानी की बूंदें भी होती है. यही वजह है कि इसके बाद भी मंगल पर इंद्रधनुष क्यों नहीं बनता है. मंगल के बादलों में भी बर्फ के कण होते हैं और इनकी तादाद बहुत ज्यादा होती है जो वहां इंद्रधनुष नहीं बना पाते.
तो फिर भी इंद्रधनुष क्यों नहीं
मंगल के वायुमंडल में पानी की बूंदे तो होती हैं लेकिन लेमौन बताते हैं कि मंगल के बादलों का तापमान पानी की जमाव बिंदु से कहीं ज्यादा नीचे का होता है. इस वजह से वहां के बादलों में पानी की पर्याप्त बूंदें नहीं होती है. जो बूंदें होती हैं वे बहुत ही महीन, यानि पृथ्वी की बूंदों से दस गुना छोटी होती हैं.
लेमौन ने बताया कि मंगल पर इंद्रधनुष के लिए इन बूंदों का आकार कम से कम दस गुना ज्यादा होगा, लेकिन अगर ये आकार हासिल कर भी लें तो वे कम तापमान की वजह से जम जाएंगी. वहीं मंगल के बादलों में कार्बनडाइऑक्साइड जमे हुए रूप में ड्राई आइस के रूप में होता है. बादलों के साथ मंगल पर धूल के तूफान भी होते हैं. लेकिन बस इंद्रधनुष नहीं होते हैं.
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