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ऐसे में रूसी हथियारों की कमी से हथियार बाजार में अमेरिका और पश्चिमी देशों का कब्जा बढ़ सकता है.
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 16 दिनों से जंग (Russia-Ukraine War) जारी है. अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस को रोकने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन उसका कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. इस बीच, एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दो देशों की इस जंग से अमेरिका और चीन सहित कई देशों की चांदी हो रही है. इन देशों की रक्षा कंपनियां हथियारों की आपूर्ति करके अरबों डॉलर कमा रही हैं.
रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खर्च
'एशिया टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, दो देशों की इस जंग से रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खर्च शुरू हो गया है. यूरोपीय यूनियन ने कहा है कि वह 45 करोड़ यूरो के हथियार खरीदकर यूक्रेन का सौपेंगा. इसी तरह, अमेरिका भी 35 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता देगा. इससे पहले, अमेरिका ने 65 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता यूक्रेन को दी थी. इन सबको मिलाकर यदि देखें तो US और NATO देश 17 हजार एंटी टैंक हथियार और 2000 स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें यूक्रेन भेज रहे हैं.
तैयार हो रहा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन
इसके अलावा, यूक्रेन में रूस के खिलाफ विद्रोही गुट खड़ा करने के लिए ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की और कनाडा के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बन रहा है. इन सब फैसलों से दुनिया की दिग्गज हथियार निर्माता कंपनियों को जबरदस्त फायदा हो रहा है. अमेरिकी कंपनी रेथियान स्टिंगर मिसाइल बनाती है. जबकि रेथियान लॉकहीड मॉर्टिन के साथ मिलकर जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल बनाती है, जिसे अमेरिका और अन्य नाटो देशों ने बड़े पैमाने पर यूक्रेन को दिया है.
रक्षा कंपनियों के शेयर चढ़े
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही लॉकहीड और रेथियान के शेयर के दाम क्रमश: 16 प्रतिशत और 3 प्रतिशत तक चढ़ चुके हैं. इसके अलावा, ब्रिटेन की कंपनी बीएई सिस्टम के शेयर के दाम में भी 26% की तेजी दर्ज की गई है. ये कंपनियां अब अपने निवेशकों को होने वाली कमाई का खुलासा भी कर रही हैं. रेथयान ने 25 जनवरी को कहा था कि यूएई में ड्रोन हमले और साउथ चाइना सी में तनाव को देखते हुए रक्षा खर्च बढ़ने जा रहा है. इससे हमें फायदा हो सकता है. बता दें कि अब यूक्रेन की जंग शुरू होने के बाद जर्मनी और डेनमार्क दोनों ने ही रक्षा बजट बढ़ाने का ऐलान किया है.
हथियार उद्योग में इस देश का दबदबा
रिपोर्ट बताती है कि हथियार उद्योग में अमेरिका का दुनिया में दबदबा है. साल 2016 से 2020 के बीच में दुनिया में बिके कुल हथियारों में से 37 प्रतिशत अमेरिका ने बेचे थे. इसके बाद रूस की हिस्सेदारी 20 फीसदी, फ्रांस 8 फीसदी, जर्मनी 6 और चीन की 5 प्रतिशत थी. इन निर्यातकों के अलावा कई और देश हैं जो इस भीषण जंग से जमकर कमाई कर रहे हैं. इसमें तुर्की सबसे आगे है जो रूस की चेतावनी के बाद भी यूक्रेन को अपने घातक हमलावर ड्रोन विमान दे रहा है. इससे उसका हथियार उद्योग चमक गया है. साथ ही इजरायल का रक्षा उद्योग भी जमकर कमाई कर रहा है.
रूस के हथियारों की होगी कमी
वहीं, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से रूस के रक्षा उद्योग को भारी नुकसान हो सकता है. रूस से हथियार खरीदने वाले सीधे तौर पर अमेरिका के दुश्मनों की लिस्ट में आ जाएंगे. अमेरिका भारत पर भी दबाव बना रहा है कि वो रूस से हथियार खरीद को कम करे. प्रतिबंधों के कारण रूस के लिए हथियारों के लिए कच्चा माल तलाश करना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में रूसी हथियारों की कमी से हथियार बाजार में अमेरिका और पश्चिमी देशों का कब्जा बढ़ सकता है.
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