अमेरिका ने कहा- 'Quad गठबंधन नहीं बल्कि नियम आधारित व्यवस्था चाहने वाले देशों का समूह है'
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वॉशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि चार देशों का समूह 'क्वॉड' गठबंधन नहीं बल्कि वैसे देशों का समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने के इच्छुक हैं। इस समूह में जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकबला करने के लिए लंबे समय से लंबित इस प्रस्ताव को 2017 में चारों देशों ने अमलीजामा पहनाया था।
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भारत और अमेरिका के बीच अगले सप्ताह मंत्रिस्तरीय 'टू प्लस टू' बैठक से पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'क्वॉड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इसे गठबंधन बनाता है। अभी वह रूप नहीं दिया गया है। इसमें शामिल देशों के बीच अभी कोई पारस्परिक दायित्व नहीं है। यह वैसा संगठन भी नहीं है जो सदस्यता का अनुरोध करता हो।'
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चर्चा के लिए भारत जा रहे हैं। भारत जा रहे अमेरिकी अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे। एक सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर में तोक्यो में आयोजित क्वॉड मंत्रिस्तरीय वार्ता ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के बीच मजबूत संबंधों को प्रदर्शित किया।
उन्होंने कहा कि यह ऐसे देशों का समूह है जो नियम आधारित व्यवस्था चाहते हैं जिसमें सभी देश संप्रभु, मजबूत और समृद्ध हों। अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का आग्रह करते हुए बताया, 'यह वैसे देशों का समूह है जो दायित्वों से ज्यादा साझा हितों और मूल्यों को लेकर आगे बढ़ता है। यह प्रभावी बहुपक्षवाद का एक उदाहरण है।' चीन के विस्तारवादी व्यवहार को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच क्वॉड देशों के मंत्रियों ने छह अक्टूबर को तोक्यो में बैठक की और एक बार फिर स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत की सामूहिक दृष्टि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों की 'क्वॉड' के तहत पहली बैठक सितंबर 2019 में न्यूयार्क में हुई थी। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा सैन्य दबदबा बनाए जाने की कोशिशें इन वैश्विक शक्तियों के बीच वार्ता का अहम हिस्सा बन गया है। चीन की बढ़ती आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका क्वॉड को एक सुरक्षा ढांचा के रूप में तैयार करने का पक्षधर रहा है। चीन दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद में शामिल है।