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उइगर मुस्लिमों के हालातों का जिम्मेदार शी चिनफिंग को ठहराया
वकीलों और अभियानकर्ताओं के एक अनौपचारिक ट्रिब्यूनल ने शिनजियांग प्रांत में नरसंहार, उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न और मानवता के प्रति अपराध के लिए प्राथमिक रूप से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि चीन ने लंदन स्थित इस ट्रिब्यूनल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह सरासर गलत है। चीनी प्रशासन ने कहा कि यह सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और मुट्ठी भर लोगों की साजिश का नतीजा हैं। चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि चीन में उइगर मुसलमानों के नरसंहार की बात एकदम बेबुनियाद है।
ब्रिटेन के उइगर मामलों संबंधी ट्रिब्यूनल ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा कि चीनी गणराज्य ने नरसंहार किए हैं और अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों को क्रूरता से प्रताडि़त किया है। चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में सरकार ने अल्पसंख्यक और मूल नागरिक पर अमानवीयता की हदें पार करके अत्याचार किया है। ब्रिटिश वकील जेफरी नाइस की अध्यक्षता में बने ट्रिब्यूनल के मुताबिक उन्हें इस बात का संतोष है कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग और सरकार व चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के अन्य सदस्य शिनजियांग में हो रहे कृत्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी लेते हैं।
शिनजियांग में रहने वाले अधिकांश उइगर मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले विश्व के उइगर मुसलमानों के समूह वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (डब्ल्यूयूसी) ने वर्ष 2020 में जेफरी नाइस से शिनजियांग में रोहिंग्याओं के नरसंहार पर ट्रिब्यूनल बनाने की अपील की थी। बाइडन और ट्रंप शासन में कई अमेरिकी सांसदों ने भी इस ट्रिब्यूनल का समर्थन किया था।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका समेत 43 देशों ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न को लेकर चीन की निंदा की थी। इन देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर कर चीन में बंदी शिविरों में हो रहे उत्पीड़न पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार समिति की बैठक में यह बयान फ्रांस के राजदूत निकोलस डी रिवियर ने पढ़कर सुनाया। यही नहीं 43 देशों की ओर से बैठक में मांग की गई कि चीन संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार पर्यवेक्षकों को शिनजियांग प्रांत के दौरे की अनुमति दे।
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