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वैज्ञानिकों की टीम ने दी चेतावनी, आर्कटिक महासागर के नीचे दबा है परमाणु कचरा, ऐसे बन सकता है खतरा

Gulabi
11 Oct 2021 5:29 PM GMT
वैज्ञानिकों की टीम ने दी चेतावनी, आर्कटिक महासागर के नीचे दबा है परमाणु कचरा, ऐसे बन सकता है खतरा
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वैज्ञानिकों की टीम ने दी चेतावनी

परमाणु कचरे के साथ-साथ वर्तमान में बर्फ में सैकड़ों सूक्ष्मजीव जमे हुए हैं. अगर बर्फ पिघलती है तो इन सूक्ष्मजीवों के पिघले हुए पानी के मिलने और मौजूदा वायरस के नए एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंस वेरिएंट बनने का खतरा है. साइंटिफिक जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गहरे सतह में 100 से अधिक सूक्ष्मजीव पहले ही एंटीबायोटिक प्रतिरोधी पाए जा चुके हैं. यदि ये परमाणु कचरा छोड़ा जाता है तो मनुष्यों और जानवरों के लिए जहरीला हो सकता है. बर्फीली जेल से रिहा होने पर यहां मौजूद हजारों साल पुराने वायरस सबके के लिए खतरा बन सकते हैं.


90 लाख स्क्वायर इलाके में फैला है पर्माफ्रॉस्ट, जहां मौजूद है परमाणु कचरा
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार, साइबेरिया में सतह के पिघलने की वजह से एंथ्रेक्स से संक्रमित एक 70 वर्षीय हिरन मिला. इस एंथ्रेक्स वायरस की वजह से एक बच्चे की मौत हो गई और इसने कई लोगों को प्रभावित भी किया. आर्कटिक की 90 लाख स्क्वायर इलाके में समुद्र के नीचे की जमीन बर्फ से ढकी हुई है, इसे पर्माफ्रॉस्ट कहा जाता है. आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट का अधिकांश भाग 10 लाख साल पुराना है. आमतौर पर इसका स्तर जितना गहरा होता है, उतनी ही इसकी उत्पत्ति की अवधि अधिक होती है. पर्माफ्रॉस्ट में सूक्ष्मजीवों से लेकर रासायनिक यौगिकों तक सब कुछ होता है, जो सभी एक सहस्राब्दी से अधिक समय से बर्फीली कैद में फंसे हुए हैं.

पारिस्थितिकी में परिवर्तन ग्रह के हर हिस्से को प्रभावित करेगा
एबरिस्टविथ यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी में रीडर डॉ अरविन एडवर्ड्स ने एक बयान में कहा, आर्कटिक की जलवायु और पारिस्थितिकी में परिवर्तन ग्रह के हर हिस्से को प्रभावित करेगा क्योंकि यह कार्बन को वायुमंडल में वापस लाता है और समुद्र के स्तर को बढ़ाता है. उन्होंने कहा, ये समीक्षा इस बात की पहचान करती है कि ग्रह के गर्म होने से आर्कटिक से अन्य जोखिम कैसे पैदा हो सकते हैं. ये लंबे समय से हानिकारक चीजों की एक सीरिज को जमाए हुए है. हमें इन हानिकारक रोगाणुओं, प्रदूषकों और परमाणु सामग्रियों के भविष्य के बारे में और अधिक समझने की जरूरत है ताकि उन खतरों को ठीक से समझा जा सके, जो वे पैदा कर सकते हैं.
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