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हमारी गैलेक्सी का चक्कर लगा रहा है तारा समूह, वैज्ञानिकों ने देखे इसमें कई Black Hole

Gulabi
7 July 2021 5:07 PM GMT
हमारी गैलेक्सी का चक्कर लगा रहा है तारा समूह, वैज्ञानिकों ने देखे इसमें कई Black Hole
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वैज्ञानिकों ने देखे इसमें कई Black Hole

हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) में ब्लैक होल (Black Hole) बहुत रहस्यमयी पिंड हैं जिनका अध्ययन करना बहुत मुश्किल होता है. यहां तक इनकी खोज तक आसान नहीं होता. बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है जब पहली बार इन्हें अप्रत्यक्ष रूप से खोजा गया था इतना ही नहीं इनकी पहली तस्वीर भी कुछ ही साल पहले ली गई थी. ये ब्लैक होल भी यूं ही नहीं पाए जाते, आमतौर पर गैलेक्सी के केंद्र में एक बड़ा ब्लैक होल होता है. लेकिन आसपास बहुत से ब्लैक होल का पाया जाना अभी तक देखा नहीं गया था. पर हाल ही में खगोलभौतिकविदों की टीम ने सौ से भी ज्यादा ब्लैक होल की जनसंख्या तारों के समूह (Star Cluster) के केंद्र में एक साथ पाए हैं.


हमारी गैलेक्सी का चक्कर लगा रहा है तारा समूह
यह तारा समूह पालोमर 5 है जिसे साल 1950 में खोजा गया था. यह सर्पेंस तारमंडल में स्थित है और पृथ्वी से 80 हजार प्रकाशवर्ष दूरी पर स्थित है. यह मिल्की वे का चक्कर लगाने वाले करीब 150 समूह में से एक है और एक आम ग्लोब्युलर समूह से 10 गुना कम हल्का है लेकिन 5 गुना ज्यादा फैला हुआ है और वह अपने जीवन के अंतिम दौर में है.
उम्मीद से कहीं ज्यादा ब्लैक होल
यह तारा समूह 10 अरब साल से ज्यादा पुराना है और दूसरे तारा समूहों की तरह यह गैलेक्सी के निर्माण के शुरुआती दौर में ही बना था. यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के इंस्टीट्यूट ऑफ कॉसमोस साइंसेस के शोधकर्ता और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक मार्क जील्स का कहना है कि ब्लैक होल की संख्या एक तारा समूह में उम्मीद किए जाने वाले ब्लैक होल की संख्या से लगभग तीन गुना ज्यादा है.
तारा समूह का कितना हिस्सा
जील्स बताते हैं कि इसका मतलब यह हुआ कि इस तारा समूह के कुल भार का ब्लैक होल 20 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बनाते हैं. उनमें से हर ब्लैक होल का भार हमारे सूर्य से 20 गुना ज्यादा है. और वे सभी विशाल तारों के मरने के बाद हुए सुपरनोवा विस्फोट में बने थे. उस समय यह तारा समूह बहुत युवा अवस्था में था.

ब्लैक होल और उससे निकलते तारे
यह अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ था. टीम ने पाया कि पालोमर 5 एक निम्न ब्लैकहोल के हिस्से से बना था, लेकिन तारे ब्लैक होल से ज्यादा कारगर रहे और बाहर निकलते रहे. इसके बाद ब्लैक होल का हिस्सा धीरे धीरे बढ़ता रहा. ब्लैक होल तारों से गुरुत्वाकर्षण क्रिया कर तारा समूह को खींचने का प्रयास करता है. इससे और ज्यादा तारे बाहर निकलने में सफल होने लगते हैं. लेकिन आज से करीब एक अरब साल बाद पूरी तरह घुलने से पहले तारा समूह पूरी तरह से ब्लैक होल बन जाएगा.
पहले भी थे ऐसे तारा समूह
यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के डॉ डेनिस एर्काल का कहना है कि इस काम से हमें पालोमर5 तारा समूह को समझने में मदद मिलेगी जिसके पास मिल्की वे गैलेक्सी के किसी भी समूह से लंबी और चमकदार पूंछ है. वैज्ञानिक मानते हैं कि इसी तरह के ब्लैकहोल बहुल तारा समूह मिल्की वे से पहले ही अलग हो चुके हैं और पतली तारकीय धाराएं बना चुके हैं.
तारकीय धाराएं जिन्हें टाइडल स्ट्रीम कहा जाता है तारों की वह धाराएं होती है जो तारा समूहों या फिर बौनी गैलेक्सी से अलग होकर निकलती हैं पिछले कुछ सालो में हमारी गैलेक्सी मिल्की वे के हालो में करीब 30 ऐसी पतली धाराएं देखी जा चुकी हैं.
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