दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान ने म्यांमार के सैनिक शासन से कहा है कि देश के अंदर संकट हल करने के ऐसे उपाय करे, जिन्हें ठोस रूप से मापा जा सके। साथ ही उसे ये उपाय एक तय समयसीमा के भीतर करने को कहा गया है। विश्लेषकों के मुताबिक यह ताजा रुख म्यांमार में गहरा संकट को लेकर आसियान नेताओं में गहरा रहे असंतोष का संकेत है। लेकिन सैनिक शासकों ने आसियान के बयानों को सिरे से ठुकरा दिया है।
आसियान नेता यहां अपने सालाना सम्मेलन के लिए इकट्ठा हुए हैं। ये शिखर सम्मेलन अगले हफ्ते इंडोनेशिया के बाली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हो रहा है। शुक्रवार को आसियान नेताओं ने आपस में बातचीत की। इसके अलावा उन्होंने चीन के प्रधानमंत्री ली किचियांग से भी वार्ता की, जिसमें इस क्षेत्र से संबंधित कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई।
आसियान शिखर सम्मेलन के एजेंडे में सर्व-प्रमुख मुद्दा म्यांमार रहा। म्यांमार भी दस देशों के इस संगठन का हिस्सा है। वहां पिछले साल एक फरवरी को सेना ने निर्वाचित प्रतिनिधियों का तख्ता पलट कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। तब से देश में हिंसा तेज होती गई है। म्यांमार के सैनिक शासक जनरल मिन आंग हलायंग अप्रैल 2021 में आसियान के साथ समाधान की एक योजना पर सहमत हुए थे। लेकिन इस योजना में शामिल बिंदुओं पर शायद ही कोई अमल हुआ है। इससे आसियान में गहरी नाराजगी है।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने यहां संवाददाताओं से कहा कि 'अब म्यांमार में ऐसी स्थिति नहीं बनी रहनी चाहिए, जिनके बीच आसियान लाचार बना रहे।' शिखर सम्मेलन में अप्रैल 2021 में बनी पांच सूत्री सहमति पर अमल की समीक्षा की गई। इन बिंदुओं में शामिल हैं- हिंसा का तुरंत खात्मा, बातचीत, और आसियान के विशेष दूत को सभी पक्षों से मिलने की इजाजत। आसियान नेताओं अब अपने विदेश मंत्रियों से कहा है कि वे ऐसे ठोस और मापने योग्य व्यावहारिक संकेतक तैयार करें, जिससे पांच सूत्री योजना पर अमल में हुई प्रगति का ठोस अंदाजा लग सके।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इस शिखर सम्मेलन से यह संकेत मिला है कि आसियान में म्यांमार का भविष्य अब अनिश्चित हो गया है। इस संगठन ने इस बार के शिखर सम्मेलन के लिए म्यांमार की सैनिक सरकार को आमंत्रित नहीं किया। इसके पहले अगस्त में हुई आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक में भी म्यांमार को नहीं बुलाया गया था। यहां फैसला हुआ कि अगर जरूरत हुई, तो आसियान को-ऑर्डिनेशन काउंसिल इस बात की समीक्षा करेगा कि म्यांमार की सदस्यता जारी रखी जाए या नहीं।
आसियान नेताओं की भावनाओं को जताते हुए विडोडो ने कहा- 'हम बेहद निराश हैं। म्यांमार में हालात बदतर हो रहे हैं। पांच सूत्री सहमति पर अमल की दिशा में कोई ठोस प्रगति नही हुई है।' उधर फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनैंड मार्कोस जूनियर ने म्यांमार से दो टूक कहा कि वह पांच सूत्री सहमति को लागू करे।
लेकिन म्यांमार ने आसियान के बयान को सिरे से नकार दिया है। शुक्रवार देर शाम म्यांमार के सैनिक शासन ने बेलाग कहा कि वह आसियान की सिफारिशों का पालन नहीं करेगा। एक फेसबुक पोस्ट के जरिए दिए बयान में उसने म्यांमार के विपक्षी समूहों से बातचीत करने के आसियान के फैसले की आलोचना की। उसने इस समूहों को 'गैर-कानूनी और आतंकवादी संगठन' करार दिया और आरोप लगाया कि आसियान उन्हें वैधता प्रदान कर रहा है।