विश्व

यूक्रेन और रूस के बीच बैठक में नहीं बदले हालात, कीव में रात में हुआ मिसाइलों से वार

Renuka Sahu
1 March 2022 1:36 AM GMT
यूक्रेन और रूस के बीच बैठक में नहीं बदले हालात, कीव में रात में हुआ मिसाइलों से वार
x

फाइल फोटो 

यूक्रेन में पिछले पांच दिनों से लगातार हमले हो रहे हैं. इस युद्ध में अबतक कई लोगों की जान जा चुकी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन में पिछले पांच दिनों से लगातार हमले हो रहे हैं. इस युद्ध में अबतक कई लोगों की जान जा चुकी है. इस बीच कल यानी 28 फरवरी को यूक्रेन पर रूस बातचीत के लिए टेबल पर आए. दोनों देशों के बीच 5 घंटे तक मीटिंग चली और ये फैसला हुआ कि युद्ध विराम को लेकर बातचीत जारी रहेगी, इसके अलावा कोई दूसरा समझौता नहीं हुआ. लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक अभी हालात पटरी पर लौटते नहीं दिख रहे हैं. वार्ता के खत्म होने के तुरंत बाद ही रूस ने कीव औऱ खारकीव में हमला तेज कर दिए.

रूसी डेलीगेशन के चीफ व्लादिमीर मेडिंस्की ने कहा बैठक में हमने एजेंडे के हर पहलू पर गौर किया है. कुछ बिंदुओ पर दोनों ने पारस्परिक रुख दिखाया है और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हम बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखने पर सहमत हुए हैं.
बेलारूस में अगली बैठक
रूस और यूक्रेन के बीच कल बैठक तो हुई लेकिन किसी खास समाधान पर नहीं पहुंच पाई. लेकिन दोनों देशों के बीच दूसरे दौर की बैठक होगी ये तय है. मिली जानकारी के अनुसार अब ये दोनों देश मीटिंग में हुई बातों को अपने अपने सलाहकार के पास ले जाएंगे और दूसरे दौर उन बिंदुओं पर बातचीत करेंगे. बेलारूस में हुई वार्ता में रूसी प्रतिनिधिमंडल के चीफ व्लादिमीर मेडिंस्की ने कहा कि अब रूस-यूक्रेन की अगली बैठक बेलारूस-पोलैंड के बॉर्डर पर होगी.
रूस ने इस लड़ाई को जितना आसान समझा था, यह उतनी निकली नहीं. यूक्रेन की तरफ से रूस के जवानों को कड़ी टक्कर मिल रही है. यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस अबतक कब्जा नहीं कर पाया है. वहीं दूसरी तरफ दोनों देशों की सेटेलाइट इमेज से पता चलता है कि रूसी सैनिक यूक्रेन पर कई मोर्चों पर हमला कर रहे हैं और कीव की तरफ आगे बढ़ रहे हैं.
क्रीमिया और डोनबास पर पूर्ण अधिकार
यूक्रेन चाहता है कि बिना शर्त रूसी सैनिक वापस लौट जाएं. उसे क्रीमिया और डोनबास पर पूर्ण अधिकार मिले और नाटो में शामिल होने पर रूस कोई आपत्ति ना जताए. दूसरी तरफ रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य ना बने. वो मिन्स्क समझौते को माने साथ ही डोनबास को पूर्ण स्वायत्तता दे. अगर नाटो का सदस्य बनने पर अमेरिका दबाव बनाता है तो खुद को यूक्रेन गुटनिरपेक्ष देश घोषित कर दे. दोनों देश एक दूसरे की शर्तों को मानने से पहले ही इनकार कर चुके हैं. लेकिन उम्मीद है कि जब पोलैंड-बेलारुस बॉर्डर पर अगले दौर की बातचीत होगी. तो कोई बीच का रास्ता निकल सकता है.
Next Story