दक्षिण अमेरिका में दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक बहती है। यहां दुनिया का सबसे घना वर्षावन भी है लेकिन इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन की तेज मार पड़ी है। ताजा रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि दक्षिण अमेरिका की दूसरी सबसे लंबी नदी पराना पर जिसमें पानी का स्तर 1940 के बाद से सबसे कम है। इससे पर्यावरणविद और एक्सपर्ट्स बेहद चिंतित हैं। इसका असर कमर्शल शिपिंग, बिजली उत्पादन, मछली पकड़े, पर्यटन से लेकर पीने के पानी की आपूर्ति और सिंचाई पर पड़ने लगा है। यही नहीं इसके असर से मिट्टी की संरचना और नदी के पानी में खनिजों में भी बदलाव होने लगा है। यह समस्या जटिल इसलिए है क्योंकि एक्सपर्ट्स अभी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह असर जलवायु परिवर्तन का है या कोई प्राकृतिक प्रकिया चल रही है। पराना दुनिया के सबसे बड़े ताजे पानी के भूमिगत स्रोतों में से एक गॉरानी ऐक्विफर से जुड़ी है। इसकी लंबाई 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा है और यह ब्राजील, पैरागे और अर्जंटीना से गुजरती है।