अन्य

आतंकवादी संगठन का असली चेहरा आया सामने, अमेरिका ने तालिबान के इस बयान की कड़ी निंदा की

Neha Dani
26 Sep 2021 6:17 AM GMT
आतंकवादी संगठन का असली चेहरा आया सामने, अमेरिका ने तालिबान के इस बयान की कड़ी निंदा की
x
तालिबान अपने पिछले कार्यकाल की तुलना में नरम शासन का वादा करता रहा है लेकिन देश भर से मानवाधिकारों के हनन की कई खबरें पहले ही सामने आ चुकी हैं।

अफगानिस्तान में बेहतर और समावेशी शासन देने के तालिबान के कथित दावों के बीच उसकी हरकतों से आतंकवादी संगठन का असली चेहरा सामने आने लगा है और इसी कड़ी में तालिबान ने ऐलान किया है कि वह अफगानिस्तान में फांसी देने, हाथ हाटने और शरीर के टुकड़े करने जैसी बर्बर सजा को फिर से वापस लाएगा। हालांकि, सुपर पावर अमेरिका ने तालिबान के इस बयान की कड़ी निंदा की है और कहा है कि उसकी कथनी और करनी दोनों पर हमारी नजर है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने शरिया कानूनों को लागू करने पर तालिबान के हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, तालिबान का शरिया कानून मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है और वे अफगानिस्तान में मानवाधिकार सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम कर रहे हैं।
नेड प्राइस ने कहा कि हम न केवल तालिबान के बयान पर बल्कि अफगानिस्तान में उसके एक्शन पर भी नजर रख रहे हैं। प्राइस ने कहा कि अमेरिका अफगान पत्रकारों, नागरिक कार्यकर्ताओं, महिलाओं, बच्चों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विकलांग लोगों के साथ खड़ा है और तालिबान से उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
अमेरिका की यह प्रतिक्रिया ऐसे वक्त में आई है, जब तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने कहा कि अफगानिस्तान में एक बार फिर फांसी और अंगों को काटने की सजा दी जाएगी। हालांकि, उसने कहा था कि यह संभव है कि ऐसी सजा सावर्जनिक स्थानों पर न दी जाए। तुराबी ने साफ कहा है कि स्टेडियम में दंड देने को लेकर दुनिया ने हमारी आलोचना की है। हमने उनके नियमों और कानूनों के बारे में कुछ नहीं कहा है। ऐसे में कोई हमें यह नहीं बताए कि हमारे नियम क्या होने चाहिए। हम इस्लाम का पालन करेंगे और कुरान पर अपने कानून बनाएंगे
तालिबान द्वारा फांसी और हाथ और शरीर काटने जैसी सजाएं फिर शुरू किये जाने की चेतावनी के एक दिन बाद संगठन ने इस पर अमल भी कर दिखाया। चार लोगों के शवों को बड़ी क्रूरता से क्रेन के माध्यम से चौराहों पर लटका दिया गया। गौरतलब है कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद से तालिबान अपने पिछले कार्यकाल की तुलना में नरम शासन का वादा करता रहा है लेकिन देश भर से मानवाधिकारों के हनन की कई खबरें पहले ही सामने आ चुकी हैं।


Next Story