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फाइल फोटो
जानकार मानते हैं कि अब पाकिस्तान चीन और रूस को साथ लाकर तालिबान के समर्थन में कोई अभियान छेड़ सकता है.
तालिबान (Taliban) को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह दिलवाने की पाकिस्तानी कोशिशों के बीच एक चौकाने वाली खबर सामने आई है. चीन, रूस और पाकिस्तान (China, Russia & Pakistan) के विशेष दूतों ने अचानक अफगानिस्तान (Afghanistan) पहुंचकर तालिबानी नेताओं से मुलाकात की है. काबुल पहुंचे विशेष दूतों ने 21 और 22 सितंबर को अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद हसन अखुंद, विदेश मंत्री अमीर खान मुताकी, वित्त मंत्री और उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारियों से बात की.
SAARC में नाकाम हुई कोशिश
तीनों देशों ने ये कदम ऐसे समय उठाया है जब सार्क सम्मेलन में तालिबान (Taliban) को शामिल करने की पाकिस्तानी कोशिश को भारत नाकाम कर चुका है और तालिबान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस को पत्र लिखकर अपने प्रवक्ता सुहैल शाहीन को UN में अफगानिस्तान का नया राजदूत बनाने के लिए कहा है. माना जा रहा है कि तीनों देश तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह दिलाने की कोई योजना तैयार कर रहे हैं.
China ने दी Meeting की जानकारी
चीन ने इस मुलाकात की जानकारी दी है. विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बताया कि तालिबान की अंतरिम सरकार और पूर्व नेताओं से बातचीत हुई है. विशेष दूतों ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और मुख्य कार्यकारी रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला से भी मुलाकात की. बता दें कि यह पहला मौका था जब तालिबान शासन में किसी विदेशी राजनयिक ने काबुल जाकर वहां रह रहे हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ मीटिंग की है.
Taliban के पक्ष में हैं तीनों देश
चीन, रूस और पाकिस्तान तालिबान सरकार के समर्थन में हैं. वहीं, पाक तालिबान की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एंट्री के लिए पूरा जोर लगा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चाहते थे कि तालिबान सार्क देशों की मीटिंग में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करे, लेकिन भारत सहित अधिकांश देशों ने इसका विरोध किया. बाद में आम सहमति न बन पाने की वजह से मीटिंग को रद्द कर दिया गया. जानकार मानते हैं कि अब पाकिस्तान चीन और रूस को साथ लाकर तालिबान के समर्थन में कोई अभियान छेड़ सकता है.
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