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अमेजन के घने जंगल में दुर्घटना का शिकार हुआ था विमान, फिर 36 दिन बाद ऐसे बची पायलट की जान

Neha Dani
9 March 2021 2:53 AM GMT
अमेजन के घने जंगल में दुर्घटना का शिकार हुआ था विमान, फिर 36 दिन बाद ऐसे बची पायलट की जान
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अस्पताल में डिहाइड्रेशन और छोटी-मोटी चोटों का इलाज करने के बाद से एंटोनियों को घर जाने दिया गया।

अमेजन के घने जंगलों में दुर्घटना का शिकार हुए एक विमान के पायलट को 36 दिनों के बाद सुरक्षित बचा लिया गया है। दरअसल सेसना 210 विमान के क्रैश होने के बाद एंटोनियो नाम के इस पायलट के पास ऐसा कोई उपकरण नहीं था जिससे वह राहत और बचाव टीम के साथ संपर्क कर सके। यह हादसा ब्राजील के ऐसे इलाके में हुआ था जहां के जंगलों में कोई भी आसानी से गुम हो सकता है। यह हादसा पायलट के जन्मदिन के मात्र दो दिन पहले ही हुआ था।

28 जनवरी को क्रैश हुआ था विमान
रिपोर्ट के अनुसार, 28 जनवरी को एंटोनियो ब्राजील के पारा राज्य में स्थित अलेंकेर से अल्मिरिम के लिए उड़ान भरी थी। तकनीकी खामी के कारण उन्हें उड़ान के कुछ मिनटों बाद ही इमरजेंसी लैंडिंग के लिए मजबूर होना पड़ा। जमीन पर लैंड होते समय उनका विमान इतना टूट गया था कि फ्यूल में एक चिंगारी से आग लग गई। हालांकि, उन्होंने तत्परता दिखाते हुए विमान में पहले से रखी हुई खाने की कुछ चीजें निकाल ली थी।
बचाव टीम को नहीं मिला विमान का मलबा
विमान के लापता होने के बाद कई टीमों को हवाई और जमीनी मार्ग से खोजबीन के काम में लगाया गया था। बड़ी बात यह थी कि दुर्घटना के बाद इन टीमों को विमान का मलबा तक नहीं मिला। पायलट को जब यह लगा कि उसे बचाने का अभियान अब बंद कर दिया गया है तो उसने विमान के कबाड़ को छोड़कर पैदल ही वहां से निकलने की ठानी। पांच हफ्ते जंगल में बिताने के बाद उसे जंगल से शाहबलूत (Chestnut) को इकट्ठा करने वाले लोग मिले। जिनके जरिए वह बाहर निकला।
36 दिनों बाद पायलट की हुई घर वापसी
विमान क्रैश होने के 36 दिनों बाद यह पायलट अपने परिवार से मिल सका। परिवार से इस मिलन को ब्राजील की टीवी पर भी प्रसारित किया गया। जिसके बाद इस पायलट को चेकअप के लिए अस्पताल लेकर जाया गया। एंटोनियो ने बताया कि उसे जंगल से निकलने की प्रेरणा परिवार को याद करने से मिली। वह चाहता था कि अपने माता-पिता, भाई-बहन से एक बार जरूर मिले।
ऐसे जिंदा रहा पायलट
एंटोनियो ने बताया कि जंगल में पांच हफ्ते काटना उसके लिए बहुत ही मुश्किल वक्त था। इस दौरान उसके पास खाने-पीने की कोई चीज भी नहीं थी। वह जंगली चीजों पक्षियों के अंडो और फलों को खाकर जिंदा रहा। अस्पताल में डिहाइड्रेशन और छोटी-मोटी चोटों का इलाज करने के बाद से एंटोनियों को घर जाने दिया गया।


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