तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) की हालत बद से बदतर हो गई है. खाने तक को लाले पड़ गए हैं. बढ़ती तंगहाली से परेशान लोग परिवार चलाने के लिए अपनी किडनी तक बेचने को मजबूर हो गए हैं. कई लोगों का कहना है कि उन्हें अपने बच्चों के भरण पोषण के लिए ऐसा करना पड़ रहा है. बेरोजगार, कर्ज में डूबे और अपने बच्चों को खिलाने के लिए संघर्ष कर रहे नूरुद्दीन ने बताया कि उनके पास किडनी बेचने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि यहां लोग अपने परिवारों को बचाने के लिए एक अंग का त्याग करने को तैयार हैं. नूरुद्दीन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'मुझे अपने बच्चों की खातिर ऐसा करना पड़ा. मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था.' बता दें कि यह कहानी केवल नूरुद्दीन की नहीं है बल्कि नूरुद्दीन जैसे कई लोग अपनी किडनी बेचने को मजबूर हुए हैं.
1500 डॉलर में बेच दी अपनी किडनी
नूरुद्दीन ने आगे बताया इस संकट से हताश होकर उन्होंने शॉर्ट टर्म फिक्स के तौर पर एक किडनी बेच दी. उन्होंने कहा, 'मुझे अब इसका पछतावा है. मैं अब काम नहीं कर सकता. मुझे दर्द हो रहा है और मैं कुछ भी भारी नहीं उठा सकता.' बता दें कि नूरुद्दीन का परिवार अब पैसे के लिए अपने 12 साल के बेटे पर निर्भर है, जो एक दिन में 70 सेंट (करीब 49 रुपये) के लिए जूते पॉलिश करता है. एजेंसी के मुताबिक, नूरुदीन उन आठ लोगों में शामिल थे, जिनसे एएफपी ने बात की थी, जिन्होंने अपने परिवार का पेट भरने या कर्ज चुकाने के लिए एक किडनी बेच दी थी. कुछ ने तो 1500 डॉलर (1,13,524 रुपये) में अपनी किडनी बेच दी. बता दें कि अधिकांश विकसित देशों में अंगों को बेचना या खरीदना अवैध है. मगर अफगानिस्तान में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. उत्तरी शहर मजार-ए शरीफ के एक अस्पताल के एक पूर्व शीर्ष सर्जन प्रोफेसर मोहम्मद वकील मतीन ने कहा, ' इसे कंट्रोल करने करने के लिए यहां कोई कानून नहीं है कि अंगों को कैसे दान या बेचा जा सकता है, लेकिन दान करने वालों की सहमति आवश्यक है.'
भूख के कारण हमारे पास कोई विकल्प नहीं
नूरुद्दीन जैसी कहानी शकीला की भी है, जो पहले से ही 19 साल की उम्र में दो बच्चों की मां थी. उन्होंने भी अपने बच्चों की खातिर अपनी किडनी बेच दी. शकीला ने कहा, 'भूख के कारण हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.' उसने अपनी किडनी 1,500 डॉलर में बेच दी. इसमें से अधिकांश पैसा परिवार के कर्ज को निपटाने में खर्च हो गया. वहीं, तीन बच्चों की मां अजीजा की अपनी किडनी बेचने की फिराक में है. उसने एएफपी को बताया, 'मेरे बच्चे सड़कों पर भीख मांगते हुए घूमते हैं. अगर मैं अपनी किडनी नहीं बेचती, तो मुझे अपनी एक साल की बेटी को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.' बता दें कि दशकों के युद्ध के बाद पहले से ही अफगानिस्तान की मानवीय स्थिति बिगड़ हुई थी और छह महीने पहले तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान और वित्तीय संकट में डूब गया है. भारत समेत कई अन्य देश अफगानिस्तान की मदद के लिए आगे रहे हैं लेकिन उतना काफी नहीं है.