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जिस ग्रीनलैंड में गिरती है सिर्फ बर्फ, बढ़ते तापमान की वजह से वहां हुई...

Shiddhant Shriwas
20 Aug 2021 12:04 PM GMT
जिस ग्रीनलैंड में गिरती है सिर्फ बर्फ, बढ़ते तापमान की वजह से वहां हुई...
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ग्रीनलैंड के समिट में पहली बार रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है. जिसके बाद से वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जता रहे हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Greenland Rainfall: जलवायु परिवर्तन को जितने हल्के में लिया जा रहा है, उतनी ही तेजी से ये दुनिया को तबाही की ओर ले जा रहा है. दुनिया के सबसे ठंडे और बर्फीले द्वीप में से एक ग्रीनलैंड में पहली बार बीते हफ्ते बारिश हुई है. जबकि इससे पहले यहां बारिश का कोई रिकॉर्ड नहीं था. इसके अलावा एक दशक से भी कम समय में तीसरी बार तापमान फ्रीजिंग पॉइंट से अधिक मापा गया है (Record Rain on Station). जिसके कारण पानी बरसने की घटना दर्ज की गई है.

ऐसा भी कहा जा रहा है कि बारिश के कारण द्वीप के दक्षिणपूर्वी तट पर स्थित बर्फ की चादर तेजी से पिघली है. नेशनल स्नो एंड आइस डाटा सेंटर के अनुसार, 1950 के बाद रिकॉर्ड बारिश हुई है (Greenland Rain First Time). रविवार को पिघली बर्फ की मात्रा साल के इस समय के दैनिक औसत से सात गुना अधिक है. कोलोराडो यूनिवर्सिटी के इस सेंटर में रिसर्च साइंटिस्ट टेड स्कंबोस ने कहा कि यही सबूत है कि ग्रीनलैंड तेजी से गर्म हो रहा है.

फ्रीजिंग पॉइंट से ऊपर तापमान

डाटा सेंटर के अनुसार, ग्रीनलैंड की सबसे ऊंची सतह समुद्र से लगभग 10 हजार 51 फीट की ऊंचाई पर है. जहां बीते हफ्ते तापमान फ्रीजिंग पॉइंट (Freezing Point) से ऊपर पहुंच गया था. ऐसा माना जा रहा है कि इस इलाके में बर्फीली सतह पर केवल तीन दिन के भीतर 7 अरब टन तक बारिश हुई है. बता दें ग्रीनलैंड का 6 लाख 56 हजार वर्ग मील वाला इलाका बर्फीला है और हर साल घटता बढ़ता रहता है. लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण यहां की बर्फ तेजी से घट रही है.

वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

इस तरह की घटनाओं को लेकर वैज्ञानिकों ने काफी चिंता जताई है. यहां नेशनल साइंस फाउंडेशन के समिट स्टेशन पर साल 1989 के बाद से ही मौसम में बदलाव देखा जा रहा है. ये स्टेशन ग्रीनलैंड (Greenland Station) की सबसे ऊंची बर्फ की सतह पर है. एक वैज्ञानिक ने बताया, 'मौसम से संबंधित बढ़ती घटनाओं में बर्फ का पिघलना, तेज हवाएं चलना शामिल है और अब बारिश भी हो रही है. पिछले दस साल से जिस घटना को सामान्य माना जा रहा था, वो अब बढ़ती जा रही है. और आने वाले समय में ऐसा और ज्यादा होने की आशंका है.'

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