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हायर सेकेंडरी की भी शिक्षा मुश्किल से मिल पाती है.
शादी के लिए लड़कियों क बेचना समाज का बेहद घिनौना काम माना जाता है, लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां लड़कियों की शादी ही बाजार ( Bride Selling Market) में बिकने के बाद ही होती है. लड़कियों को लेकर उनके माता-पिता ही दुल्हनों की मंडी में पहुंचते हैं. इस मंडी (Weird Traditions Around The World) में दुल्हन के तमाम खरीदार होते हैं, जो उसकी बोली लगाते हैं. फिर माता-पिता सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले से अपनी बेटी का रिश्ता तय कर देते हैं.
बुल्गारिया की स्तारा जागोर नाम की जगह पर हर साल में चार बार दुल्हनों ( Bride Market In Bulgaria) का बाजार सजता है. यहां आने वाले दूल्हे अपनी पसंद की दुल्हन खरीदकर उसे अपनी पत्नी बना सकते हैं. ये अनोखी परंपरा (Weird Traditions Around The World) बुल्गारिया के रोमा समुदाय (Roma Community In Bulgaria) में सालों से चली आ रही है. यहां लड़कियों को 14 साल तक स्कूल से भी निकाल लिया जाता है. उन्हें कॉलेज भी नहीं भेजा जाता क्योंकि दु्ल्हनों की मंडी ( Bride Selling Market) में सिर्फ दो योग्यताएं चाहिए- लड़की को घर का काम आता हो और वो कुआंरी हो. यही वजह है कि दुल्हन की मंडी में आने वाली ज्यादातर लड़कियां नाबालिग ही होती हैं.
सज-संवरकर बाजार में पहुंचती हैं लड़कियां
रोमा समुदाय के लोगों की संख्या अब बुल्गारिया में इतनी ज्यादा नहीं है, लेकिन इनकी गरीबी और दकियानूसी सोच इन्हें आगे बढ़ने भी नहीं दे रही. इस समुदाय की लड़कियों को भी इस परंपरा पर कोई खास आपत्ति नहीं होती, क्योंकि वे शुरू से ही इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार होती हैं. बचकोवो मोनेस्ट्री के नज़दीक लगने वाले इस बाज़ार में नाबालिग लड़कियों का सौदा 300-400 डॉलर तक में होता है. न तो इन युवतियों को कभी कॉलेज की शक्ल देखने का मौका मिलता है, न ही वो घर-परिवार के अलावा कुछ सोच पाती हैं. दुल्हनों के बाजार में पहुंचने के लिए वे कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं और उनका खूबसूरत दिखना बेहद ज़रूरी होता है. यहां मौजूद लड़के अपनी पसंद के मुताबिक लड़की चुनते हैं और उनके बीच बात-चीत होती है.
लड़केवाले देते हैं दहेज
बाज़ार में कोई लड़की पसंद आने के बाद लड़का उसे पत्नी मान लेता है और माता-पिता को इस शादी के लिए राज़ी होना पड़ता है. लड़के और लड़की के बीच घर-परिवार और आमदनी पर बातचीत होती है, फिर परिवारवाले शादी की रकम तय करते और रिश्ता हो जाता है. लड़कियां इस बाज़ार में अकेले नहीं आतीं, हमेशा उनके साथ उनके परिवार का कोई सदस्य ज़रूर होता है. दुल्हनों का बाज़ार कलाइदझी समुदाय की ओर से लगाया जाता है और यहां कोई बाहरी शख्स दुल्हन खरीदने नहीं आ सकता. लड़कियों को बेचने की ये परंपरा इन समुदायों की गरीबी और अभाव से जन्मी है, जिसे कोई खत्म नहीं कर पाया. हालांकि अब इस समुदाय की महिलाएं अगली पीढ़ी के लिए और खुलापन चाहती हैं, लेकिन बिना शिक्षा के ये मुमकिन नहीं है और महिलाओं को यहां हायर सेकेंडरी की भी शिक्षा मुश्किल से मिल पाती है.
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