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पुराने क्रिस्टल ने बताया, कब हुआ था पृथ्वी के अंदर के आंतरिक क्रोड़ का निर्माण

Gulabi Jagat
28 July 2022 4:57 PM GMT
पुराने क्रिस्टल ने बताया, कब हुआ था पृथ्वी के अंदर के आंतरिक क्रोड़ का निर्माण
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पृथ्वी के अंदर के आंतरिक क्रोड़ का निर्माण
पृथ्वी सौरमंडल और ब्रह्माण्ड कई मायनों में बहुत अलग है. जीवन उपस्थिति के अलावा पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Internal Structure of Earth) भी सबसे अनोखी है जिसकी वजह से पृथ्वी की मैग्निटिक फील्ड (Magnetic Field), उसकी वजह से वायुमंडल, और उसकी वजह से यहां जीवन कायम है. लेकिन 2900 किलोमीटर की गहराई पर पृथ्वी की क्रोड़ (Core of the Earth) का निर्माण कैसे और कब हुआ, यह एक बड़ा रहस्य है. जबकि हम 12 किलोमीटर की गहराई से नीचे नहीं जा सके है. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पुरानी चट्टानों के क्रिस्टल की मदद से पृथ्वी के आंतरिक क्रोड़ के इतिहास की जानकारी निकाली है.
पुरातन क्रिस्टल से हुए खुलासे
शोधकर्ताओं ने इन पुरातन क्रिस्टल और उनमें छिपे चुंबकत्व के रिकॉर्ड की मदद से पृथ्वी के क्रोड़ की करोड़ों साल पुरानी जानकारी पाने मे सफलता हासिल की है. अभी तक वैज्ञानिकों के पास जो क्रोड़ की जानकारी थी उसके मुताबिक यह घनी परत लोहे और निकल धातुओं से बनी हैऔर वास्तव में इसकी दो परते हैं एक ठोस आंतरिक क्रोड़ और एक पिघला हुआ बाह्य क्रोड़. इनके ऊपर बहुत मोटी मेंटल की परत है जिसके ऊपर पर्पटी है जिस पर हम सब रहते हैं.
55 करोड़ साल पहले
नई पड़ताल में शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसा लगता है कि 55 करोड़ साल पहले पृथ्वी का क्रोड़ की बहुत सारी मात्रा का क्रस्टलीकरण हो रहा था. इससे पृथ्वी को इतनी ऊष्मा मिली कि वह अपने चुंबकीय क्षेत्र वापस हासिल कर सकी. यह क्षेत्र करीब उस समय से 1.5 करोड़ साल पहले ही खत्म हो गई थी. चुंबकीय क्षेत्र के वापस आने पर ही पृथ्वी पर जीवन पनपने की स्थिति कायम हो सकी थी.
आंतरिक क्रोड़ की बड़ी भूमिका
पृथ्वी पर जीवन के पनपने और कायम रखने उसकी मैग्नेटिक फील्ड का बड़ा योगदान है. उसी वजह से सौर पवनों के रूप में सूर्य से पृथ्वी की ओर आने वाले हानिकारक विकिरण रुकते हैं. यह फील्ड बाह्य क्रोड़ में घूमते तरल लोहे की ही वजह से बना रहता है. इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि पृथ्वी के केंद्र में स्थित लोहे और निकल के ठोस हिस्सा ऊर्जा स्रोत की अहम भूमिका निभाता है.
खत्म हो रहा था पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र
शोधकर्ताओं का कहना है कि आंतरिक क्रोड़ बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. आंतरिक क्रोड़ के विकसित होने की शुरुआत से ठीक पहले पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र खत्म होने की कगार पर था, लेकिन जैसे ही आंतरिक क्रोड़ का विकास होना शुरू हुआ, यह क्षेत्र फिर से बनने लगा और उससे संबंधित प्रभाव भी फिर से आकार लेने लगे.
आंतरिक क्रोड़ की जरूरत
यह शोध पृथ्वी पर अरबों साल के जीवन भर के लिए मैग्नेटिक फील्ड को कायम रखने के लिए बढ़ते आंतरिक क्रोड़ की जरूरत को रेखांकित करता है. बहुत ज्यादा गहराई और बहुत ही गर्म तापमान पृथ्वी के क्रोड़ के बारे में जानकारी पाने को असंभव ही बना देते हैं. इसलिए वैज्ञानिकों ने चट्टानों के क्रिस्टल की ओर रुख किया. इस अध्ययन में उन्होंने एनोर्थोसाइट नाम के फेल्ड्सपार क्रिस्टल का अध्ययन किया. ये क्रिस्टल बड़ी ही सटीकता से चुंबकत्व को रिकॉर्ड करते हैं.
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