धरती पर जलवायु परिवर्तन की घटना दुनिया के तीन अरब लोगों के लिए खतरे की घंटी है। पिछले छह हजार सालों से इस धरती पर चर और अचर फलफूल रहे हैं। लेकिन अब यह धरा मुश्किल में पड़ गई है। खास बात यह है कि इसके लिए मानव सीधे तौर पर जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यूं चलता रहा तो 2070 तक यह धरती रहने लायक नहीं बचेगी। यहां का तापमान सहने लायक नहीं होगा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भले ही पेरिस जलवायु समझौते पर अमल की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद दुनिया तीन डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की तरफ बढ़ रही है। ग्लोबन वार्मिंग की वजह से अगर दुनिया का औसत तापमान 1.5 डिग्री बढ़ गया तो एक बड़ी आबादी को इतनी गर्मी में रहना होगा कि वे जलवायु की सहज स्थिति के बाहर हो जाएंगे। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव आस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका, दक्षिण अमरीका और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में पड़ेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक डिग्री की वृद्धि से करीब एक अरब लोग प्रभावित होंगे।