आपने कभी सुना है कि किसी दफ्तर में या किसी खास पद पर जरूरत से ज्यादा पुरुषों की नियुक्ति करने के लिए किसी ऑफिस पर जुर्माना लगाया गया हो. जैसेकि किसी कंपनी में सारे बोर्ड मेंबर मर्द हों या सारे सीईओ के पद पर मर्द बैठे हों तो कंपनी पर फाइन ठोंक दिया जाए. जाहिर है, ऐसा कुछ आपने अब तक नहीं सुना होगा, लेकिन इसका उल्टा अब सुन लीजिए. फ्रांस की राजधानी पेरिस के पेरिस सिटी हॉल पर 90 हजार यूरो यानी तकरीबन 80 लाख रु. का जुर्माना लगाया गया है क्योंकि उन्हें सारे बड़े महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं को नियुक्त कर दिया. परिस सिटी हॉल एक तरह का लोकल एडमिनिस्ट्रेशन है. सरकारी विभाग है और पेरिस सिटी हॉल में जॉब का मतलब है सरकारी नौकरी.
तो हुआ ये कि इस सरकारी नौकरी में 69 फीसदी महिलाओं की नियुक्ति हो गई. कुल पद थे 16, जिनमें से 11 पदों के लिए महिलाओं और सिर्फ पांच पदों के लिए पुरुषों को नामित किया गया. इस वक्त शहर की मेयर हैं एन हिडालगो, जो खुद एक महिला हैं और सोशलिस्ट पार्टी की सदस्य भी हैं. तो 16 में से 11 पदों पर महिलाओं का होना फ्रांस की पब्लिक सर्विस मिनिस्ट्री को नियमों का उल्लंघन जान पड़ा. मिनिस्ट्री जिस नियम के उल्लंघन की बात कर रही है, वह लैंगिक समानता का नियम है, जो वर्ष 2013 में लागू हुआ था. इस नियम के अनुसार वरिष्ठ पदों पर एक जेंडर के 60 फीसदी से ज्यादा लोगों की नियुक्ति नहीं की जा सकती.
दरअसल सरकारी नौकरियों में जेंडर संतुलन कायम करने के लिए ही यह नियम लाया गया था ताकि सरकारी नौकरियों में महिलाओं की नियुक्ति को सुनिश्चित किया जा सके और दोनों जेंडर के बीच एक संतुलन बनाया जा सके. नियम के अनुसार कम से कम 40 फीसदी पदों पर महिलाओं को नियुक्त किया जाना अनिवार्य हो गया. लेकिन इस तरह के नियम की जरूरत तो जेंडर मोनोपॉली को तोड़ने के लिए है. ये तथ्य किससे छिपा है भला कि पूरी दुनिया में बड़े महत्वपूर्ण फैसलाकुन पदों पर मर्दों का ही आधिपत्य है. सैकड़ों सालों से वही हर जगह राज कर रहे हैं. महिलाओं की उपस्थिति बहुत नगण्य है. इस एकाधिकार को तोड़ने और जेंडर के असंतुलन को ठीक करने के लिए ही ऐसे नियम की जरूरत थी.
लेकिन इस नियम का अर्थ ये नहीं है कि 40 फीसदी से ज्यादा पदों पर महिलाओं की नियुक्ति नहीं हो सकती. एक बार वो मर्दों के एकाधिकार वाली दुनिया में दखल करना शुरू करती हैं तो उनकी संख्या मर्दों से ज्यादा भी हो सकती है. जैसाकि 2018 में हुआ. 16 में से 11 पदों पर महिलाओं की नियुक्ति हुई और महज 5 पदों में पुरुषों की, जिस पर फ्रांस की पब्लिक सर्विस मिनिस्ट्री ने आपत्ति जताते हुए 90 हजार यूरो का जुर्माना ठोंक दिया है. न्याय और संतुलन का होना तो अच्छा है, लेकिन महिलाओं की संख्या ज्यादा होने पर जुर्माना ठोंक देना तो संतुलन को लेकर एक किस्म का पैरानॉइया जैसा लगता है. सैकड़ों सालों से हर जगह मर्दों का दबदबा कायम है, लेकिन उसके लिए तो कभी कोई जुर्माना नहीं लगाया गया.
आज भी खुद फ्रांस के जाने कितने निजी और सरकारी दफ्तरों में मर्दों की संख्या ज्यादा होगी. खुद चार्ली हेब्दो का दफ्तर मर्दों से पटा पड़ा है, लेकिन वहां तो कोई जुर्माना नहीं लगा. एक पेरिस सिटी हॉल में औरतों की संख्या मर्दों से ज्यादा क्या हुई कि उन पर सीधे जुर्माना ही ठोंक दिया गया. हालांकि पेरिस की मेयर एन. हिडालगो ने इस जुर्माने को बेहद मूर्खतापूर्ण बताया है. "मुझे ये बताते हुए अच्छा लग रहा है कि हम पर जुर्माना लगा है. सिटी हॉल का प्रबंधन अचानक कुछ ज्यादा ही फेमिनिस्ट हो गया है. जाहिर है कि ये जुर्माना बेहद मूर्खतापूर्ण, गलत, गैरजिम्मेदाराना और खतरनाक है. समानता को हासिल करने के लिए हमें अपनी स्पीड बढ़ानी होगी, बराबरी सुनिश्चित करने के लिए पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाओं की नियुक्तियां करनी होंगी."