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लद्दाख क्षेत्र में ड्रैगन की मंशा हुई साफ! क्यों मसले को नहीं सुलझाना चाहता है चीन?

Renuka Sahu
1 Jun 2022 6:27 AM GMT
The intention of the dragon in the Ladakh region is clear! Why does China not want to resolve the issue?
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फाइल फोटो 

क्या चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल और अक्साई चिन को वाकई नहीं सुलझाना चाहता है?

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल और अक्साई चिन को वाकई नहीं सुलझाना चाहता है? ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चीन ने 31 जून को एक प्रेस रिलीज में बताया कि चीन और भारत ने सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 24वीं बैठक आयोजित की। इस बैठक के बाद चीन ने कहा कि चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में बचे हुए मसलों को आपसी और समान सुरक्षा के सिद्धांत के अनुसार सुलझाना चाहता है। लेकिन इस पर सवाल क्यों उठ रहे हैं, आइए समझने की कोशिश करते हैं।

जल्द होगी अगली बैठक?
इस बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी प्रेस रिलीज जारी किया है। भारत ने कहा है कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर स्थिति की समीक्षा की। दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में पश्चिमी सेक्टर में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी इलाके की समीक्षा की और वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के अगले दौर को 'यथा शीघ्र' आयोजित करने पर सहमत हुए। बता दें कि पिछली बैठक नवंबर में हुई थी जबकि सैन्य वार्ता का 15वां दौर 11 मार्च को हुआ था।
क्यों मसले को नहीं सुलझाना चाहता है चीन?
शशि थरूर भारत के विदेश राज्यमंत्री रहे हैं। उनका मानना है कि चीन कई कारणों से बॉर्डर मसले को नहीं सुलझाना चाहता है। चीन भारतीय क्षेत्र पर दावा ठोककर और बॉर्डर क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर भारत पर हावी होने की कोशिश करता है।
उन्होंने हाल ही में कहा था कि बीजिंग यह कहना चाहता है कि हम आपकी इकॉनमी से पांच गुना बड़े हैं, हमारी सेना और उसका बजट आप से अधिक है। हम हम एक और पीढ़ी रुके तो हम इतने अमीर और ताकतवर हो जाएंगे कि भारत की दिक्कतें और बढ़ा सकते हैं। यही चीन का इरादा है।
बता दें कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के संवेदनशील सेक्टर में दोनों पक्षों के करीब 50 से 60 हजार सैनिक फिलहाल मौजूद हैं।
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