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पर्यटन विकास से संवरी तिब्बत के गावों की तकदीर

Rani Sahu
18 July 2023 3:39 PM GMT
पर्यटन विकास से संवरी तिब्बत के गावों की तकदीर
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बीजिंग (आईएएनएस)। 9वीं सदी के मध्य में दक्षिण पश्चिमी तिब्बत की शांगछुएं नदी के तट पर गुर्गे नामक राज्य स्थापित हुआ, जो 700 से अधिक साल तक चला। तिब्बत के इतिहास में गुर्गे राज्य का अहम स्थान था। उसका इतिहास और रहस्यमय कहानी आज भी लोगों को आकर्षित करता है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर की जेनदा काउंटी का थ्वो लिन कस्बा तो गुर्गे राजवंश के खंडहर के पास स्थित है। वहां के किसान विशिष्ट प्राकृतिक दृश्य, सांस्कृतिक धरोहर और सरकार की समर्थक नीतियों का लाभ उठाकर पर्यटन उद्योग के विकास में जुटे हुए हैं।
त्सीरनतोच्ये थ्वो लिन कस्बे के जापुरांग गांव में रहते हैं। वे एक परिवार होटल का संचालन करते हैं। उनके होटल की तीन मकान और 21 बेड्स हैं, जिसका क्षेत्रफल लगभग 200 वर्गमीटर है। होटल में बिजली, नल के जल, साइबर, स्वतंत्र बाथरूम आदि संपूर्ण संस्थापन उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि उसका होटल प्रदेश के रजत सितारे वाला परिवार होटल है। हर दिन एक बेड की कीमत 80 युवान है। पिछले साल होटल और देश के विभिन्न भत्ते से उनकी आय 1 लाख 30 हजार युवान (लगभग 1 लाख 30 हजार रूपये ) थी। वे सुखमय जीवन बिता रहे हैं।
जापुरांग गांव में कुल 38 परिवार हैं। उनमें से 32 परिवारों ने होटल खोला है और कुल 700 पलंग हैं। सिर्फ परिवार होटल से हर परिवार को एक साल औसत 36 हजार युवान प्राप्त होते हैं।
परिवार होटल के अलावा वहां के किसान साइट सीइंग गाड़ियों का संचालन भी करते हैं। यांग पेइ साइट सीइंग गाड़ी का संचालक हैं। अब पर्यटन का पीक सीजन है। बहुत लोग गुर्गे राज्य के खंडहर देखने आते हैं। यांग पेइ एक दिन पर्यटकों को पहुंचाने के लिए 60 से अधिक चक्कर लगाते हैं।
उन्होंने कहा कि मासिक वेतन लगभग 9000 युवान मिल जाता है। वे अपने घर के पास काम करने पर बहुत खुश हैं। परिचय के अनुसार आली प्रिफेक्चर सरकार ग्रामीण पुनरुत्थान में पर्यटन उद्योग को खास महत्व देती है। उसने आली क्षेत्र के पर्यटन विकास की योजना बनायी और पुराने गुर्गे राज्य के खंडहर को देश के 4ए श्रेणी वाले दृश्य स्थल और पवित्र पहाड़ व झील माउंट कैलाश--मानसरोवर को 5ए श्रेणी के रूप में निर्मित करने की पूरी कोशिश की जा रही है।
आंकड़ों के अनुसार पिछले साल तिब्बत स्वायत्त प्रदेश प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों ने 85 लाख पर्यटकों का सत्कार किया और पर्यटन से 1 अरब युवान की आय प्राप्त की, जिससे 85 हजार किसानों व चरवाहों को रोजगार मिला।
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