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अंतरिक्ष में स्थापित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में बहुत सारे प्रयोग हो रहे हैं
अंतरिक्ष (Space) में स्थापित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) में बहुत सारे प्रयोग हो रहे हैं. ये प्रयोग या तो अंतरिक्ष में मानव के रहने से संबंधित आने वाली कठिनाइयों से संबंधित हैं या फिर वे वैज्ञानिक प्रयोग हैं जो धरती पर गुरुत्व के कारण नहीं हो सकते हैं या फिर गुरुत्वहीनता के माहौल में विशेष तौर पर किए जाते हैं. लेकिन दुनिया में या कहें कि सौरमंडल में पहला पुरातत्व अभियान (Archaeological Mission) इस सप्ताह शुरू हो रहा है. इस विशेष प्रोजेक्ट में अंतरिक्ष में इंसान के रहने वाले माहौल का पुरातत्व दृष्टिकोण से अध्ययन करने के लिए आंकड़े जुटा कर उनका अध्ययन किया जाएगा.
क्या होगा इस अध्ययन में
यह अध्ययन कैलिफोर्निया में फिलडर्स यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर एलिस गोरमैन और चैम्पमैन यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर जस्टिन वाल्श की अगुआई में हो रहा है. इस अभियान को इंटरनेशनल स्पेस आर्कियोलॉजिकल प्रोजेक्ट (ISSAP) नाम दिया गया है. प्रोफेसर वाल्श ने बताया, "हम सबसे पहले हैं जो यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि इंसान उन चीजों के साथ खुद को कैसे जोड़ता है जिनके साथ वह अंतरिक्ष में रहता है."
पहले होगा नमूने लेने का काम
प्रोफसर वॉल्श ने बताया कि एक सक्रिय अंतरिक्ष दायरे में पुरातत्व नजरिया लाकर हमें पहले होंगे जो यह दर्शाएंगे कि लोग कैसे पूरी तरह से नए वातावरण में अपना बर्ताव ढालते हैं. इस टीम का पहला प्रोजक्ट सैम्पिलंग क्वाड्रैंगल एसेंबलेज रिसर्च एक्सपेरिमेंट या SQuARE का पहला प्रयोग अब शुरू हो चुका है.
एक गड्ढे से शुरुआत की तरह यहां भी
SQuARE प्रोजेक्ट का पहला प्रयोग बिलकुल वैसा है ही जब किसी भी पुरातत्व साइट का अध्ययन के लिए पहला काम होता है- एक परीक्षण गड्ढे की खुदाई. जहां पृथ्वी पर स्थान को समझने के लिए एक वर्ग मीटर का गड्ढा खोदा जाता है और उसके बाद आगे की रणनीति तय होती है.लेकिन अंतरिक्ष के मामले में यह कुछ अलग है.
क्या होगा अंतरिक्ष का 'गड्ढा'
ISSAP टीम एक एडहेसिव टेप से निश्चित एक मीटर का क्षेत्र निर्धारित करेगी और रोजाना उसकी तस्वीर लेगी जिससे यह अध्ययन किया जा सके कि वह क्षेत्र कैसे उपोयग में लाया जाएगा. प्रोफेसर गोरमैन ने बताया कि बजाए खुदाई से मिट्टी की अलग अलग परतों के जरिए स्थान के इतिहास का पता लगाने के उनकी टीम हर दिन उस स्थान की तस्वीर लेगी और इससे यह जानने का प्रयास करेगी कि वे समय साथ कैसे बदलती हैं.
कैसे तय होगा वर्ग
नासा के अंतरक्ष यात्री कायला बैरोन ने शुक्रवार को दोपहर में कुछ जगहों पर वर्गों को चिह्नित किया जिसमें गैलरी टेबल वर्कस्टेशन EXPRESS रैक जैसी काम और आराम के जगहें शामिल हैं. इस प्रयोग के हिस्से के तहत स्पेस स्टेशन के क्रूस सदस्य खुद भी अध्ययन के लिए अतरिक्त लोकेशन का चुनाव करेंगे. उनके आंकलन के आधार पर निर्माणयक वर्ग अमेरिकी लैब मॉड्यूल में रखा जा जाएगा. रोज इस तरह से तस्वीरें लेने का काम 60 दिन तक लगातार चलता रहेगा.
मिट्टी नहीं होगी अंतरिक्ष में
अंतरिक्ष में इतिहास की जानकारी लेना पृथ्वी की तरह नहीं होगा. पृथ्वी पर इतिहास की जानकारी समय के साथ मिट्टी की परतों में दफन हो जाती है. लेकिन अंतरिक्ष में इस तरह की परतें नहीं बन सकती हैं जो समय की घटनाओं को सुरक्षित रख सकें. इसलिए वैज्ञानिकों ने तस्वीरों को परतों के तौर पर उपयोग करने का विचार किया है और बदलाव को जमाकर अध्ययन करने का फैसला किया है.
इस अभियान में दो दशकों तक करोड़ों तस्वीरें ली जाएंगी. इससे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की लाइफ स्टाइल और सांकृतिक बनावट में होने वाले बदलाव और विकास के दस्तावेजीकरण किया जाएगा. ये तस्वीरें एक विशाल आंकड़ों का भंडार बन जाएंगी जिसमें समय और तारीख दर्ज होंगी. क्रू सदस्य रोजाना 400 तस्वीरें खींचेंगे.
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